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शादी करने पर महिला को आर्मी से निकाला, 36 साल बाद मिला न्याय, जानें सुप्रीम कोर्ट का फैसला

एक महिला को सिर्फ शादी करने के लए सेना से 1988 में नौकरी से निकाल दिया था. इस मामले में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद महिला को सुप्रीम राहत मिली है. कोर्ट ने इस पूरे मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.

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Edited By: India Daily Live
Supreme Court questions Centre over not granting commission to women  in Indian Coast Guard

शादी करने के बाद महिला को नौकरी से निकालने के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट  ने सुनवाई के दौरान कहा है कि शादी के चलते महिला को नौकरी से निकालना असंवैधानिक है. अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार से पीड़िता को 60 लाख रुपए मुआवजा देने के लिए भी कहा है. दरअसल. यह पूरा मामला साल 1988 का है जब शादी करने के चलते मिलिट्री नर्सिंग सेवा से एक महिला को निकाल दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला 

इस पूरे मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने सेलिना जॉन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्हें फिर से बहाल किया जाए. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हम ऐसी किसी भी दलील के नहीं मान सकते जिसमें पूर्व लेफ्टिनेंट सेलिना जॉन ( जो कि पहले मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में परमानेंट ऑफिसर थीं) के शादी करने के चलते नौकरी से निकाले जाने को सही ठहराया गया हो. ये पूरी तरह से मनमाना नियम है कि किसी महिला की नौकरी को इस लिए छीन लेना क्योंकि उसने शादी की. ये लैंगिग भेदभाव का मामला है.

जानें क्या है पूरा मामला

साल 1988 में एक महिला को इंडियन आर्मी से सिर्फ इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया था क्योंकि उस महिला ने शादी कर ली थी. जानकारी के अनुसार सेना ने बिना कोई कारण बताओ नोटिस के महिला की सेवाएं समाप्त करते हुए नौकरी से कार्य मुक्त कर घर जाने के आदेश दे दिए थे. इसके बाद महिला ने इंसाफ के लिए कोर्ट का रुख किया और फिर एक लंबी लड़ाई के बाद महिला को न्याय मिला. कोर्ट ने इस पूरे मामले में अब आदेश दिया है कि केंद्र सरकार और भारतीय सेना महिला को आठ सप्ताह के भीतर 60 रुपये का भुगतान करें.