भारत और रूस के बीच लंबे समय से समुद्री साझेदारी का प्रतीक, भारतीय-रूसी द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास 'इंद्र' का 14वां संस्करण 28 मार्च से 2 अप्रैल 2025 तक चेन्नई में आयोजित किया जा रहा है. दरअसल, यह अभ्यास भारत और रूस की नौसेनाओं के बीच मजबूत रणनीतिक संबंधों को दर्शाता है.जिसमें संयुक्त युद्धाभ्यास, संकटग्रस्त जहाजों की सहायता और निरीक्षण शामिल होंगे.
'इंद्र' अभ्यास का कैसा रहा है इतिहास और महत्व!
दरअसल, साल 2003 में शुरू हुआ 'इंद्र' अभ्यास भारत और रूस के बीच बढ़ते समुद्री सहयोग और सैन्य साझेदारी का प्रतीक बन गया है. यह अभ्यास दोनों देशों के नौसैनिक बलों के बीच समन्वय और आपसी सहयोग को और मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है. अभ्यास के दौरान दोनों नौसेनाओं के बीच बेहतर संचालन प्रथाओं का आदान-प्रदान और आपसी अनुभवों को शेयर किया जाता है.
भारत और रूस के बीच कैसा होगा अभ्यास का स्वरूप?
हालांकि, इस साल के अभ्यास को दो चरणों में बांटा गया है. जिसमें पहला, हार्बर चरण जो 28 से 30 मार्च तक चेन्नई में आयोजित होगा. जबकि, दूसरा, सी चरण जोकि 31 मार्च से 2 अप्रैल तक बंगाल की खाड़ी में होगा. वहीं, हार्बर चरण में उद्घाटन समारोह, एक्सपर्टों के बीच आदान-प्रदान, आपसी दौरे, खेल गतिविधियां और नौसैनिक कर्मियों के बीच प्री-सैल ब्रीफिंग जैसी गतिविधियां शामिल होंगी.
इसके अलावा, सी चरण में बेहतर नौसैनिक अभ्यास होंगे, जिसमें लाइव हथियारों से गोलीबारी, एंटी-एयर ऑपरेशंस, चलती स्थिति में आपूर्ति, हेलीकॉप्टर क्रॉस-डेक लैंडिंग और समुद्र-राइडर का आदान-प्रदान किया जाएगा.
नौसैनिक जहाजों की भागीदारी
इस अभ्यास में रूसी संघ के नौसैनिक जहाज 'पेचंगा', 'रेज़की' और 'अल्दर त्स्यडेंजापोव' शामिल होंगे. जबकि, भारतीय नौसेना के जहाजों 'राणा', 'कुथार' और P-8I मरीन पेट्रोल विमान के साथ समुद्र में शामिल होंगे.
समुद्री सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को मिलेगा बढ़ावा
इस अभ्यास का मकसद समुद्री सहयोग को बढ़ावा देना, मित्रता के सेतु को मजबूत करना, सर्वोत्तम संचालन प्रथाओं का आदान-प्रदान करना, ताकि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को मजबूती मिल सके. बता दें कि, यह अभ्यास भारत और रूस के बीच समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग को एक नई दिशा देने में मदद करेगा.