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जिसे डोनाल्ड ट्रंप बता रहे दुनिया के लिए खतरा चीन के उस AI DeepSeek का इस्तेमाल करेगा भारत, अश्विनी वैष्णव ने की घोषणा

डीपसीक हाल ही में काफी चर्चा में रहा है. इस चीनी एआई ऐप ने संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य वैश्विक बाजारों में सनसनी मचा दी है, जहां यह एप्पल स्टोर पर सबसे लोकप्रिय मुफ्त ऐप के रूप में ChatGPT से भी आगे निकल गया.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
 India will use China AI DeepSeek on Indian servers for cross border data privacy Ashwini Vaishnaw s

भारत सरकार क्रॉस-बॉर्डर डेटा ट्रांसफर से जुड़ी गोपनीयता चिंताओं को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है. केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि भारत जल्द ही चीनी एआई स्टार्टअप डीपसीक को भारतीय सर्वर पर होस्ट करेगा. यह कदम डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के संबंध में उत्पन्न आशंकाओं को शांत करने का प्रयास है.

डीपसीक क्या है

डीपसीक हाल ही में काफी चर्चा में रहा है. इस चीनी एआई ऐप ने संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य वैश्विक बाजारों में सनसनी मचा दी है, जहां यह एप्पल स्टोर पर सबसे लोकप्रिय मुफ्त ऐप के रूप में ChatGPT से भी आगे निकल गया. 20 जनवरी को लॉन्च किया गया यह ऐप एक कम लागत वाला और संसाधन-गहन चैटबॉट है.  रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके R1 रीजनिंग मॉडल की कंप्यूटिंग लागत OpenAI के GPT-4 की तुलना में काफी कम है. डीपसीक की तुलना ChatGPT, गूगल के जेमिनी और मेटा एआई से की जा रही है. हालांकि, ऐसी खबरें हैं कि यह ऐप डेटा और जानकारी को सेंसर करता है.

डीपसीक से जुड़ी गोपनीयता चिंताएं
डीपसीक को लेकर कई गोपनीयता संबंधी चिंताएं जताई गई हैं.  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने डीपसीक को अपने देश के लिए 'वेक-अप कॉल' बताया है, हालांकि उन्होंने यह नहीं कहा कि यह अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है.  वहीं, ऑस्ट्रेलियाई विज्ञान मंत्री एड हुसिक ने कहा कि वह चीनी ऐप के डेटा और गोपनीयता प्रबंधन के बारे में 'बहुत सावधान' रहेंगे.

डीपसीक की शर्तों के अनुसार, 'जब आप हमारी सेवाओं का उपयोग करते हैं, तो हम आपका टेक्स्ट या ऑडियो इनपुट, प्रॉम्प्ट, अपलोड की गई फाइलें, फीडबैक, चैट इतिहास या अन्य सामग्री एकत्र कर सकते हैं जो आप हमारे मॉडल और सेवाओं को प्रदान करते हैं...आपके द्वारा एकत्र की गई व्यक्तिगत जानकारी को किसी ऐसे सर्वर पर संग्रहीत किया जा सकता है जो आपके देश के बाहर स्थित है. हम आपके द्वारा एकत्र की गई जानकारी को चीन के जनवादी गणराज्य में स्थित सुरक्षित सर्वरों में संग्रहीत करते हैं.'

इसका तात्पर्य यह हो सकता है कि डीपसीक उपयोगकर्ता का नाम, जन्मतिथि, ईमेल पता, ऑडियो, टेक्स्ट या पिछली चैट, आईपी, ऑपरेटिंग सिस्टम और कीस्ट्रोक पैटर्न का डेटा एकत्र करता है और जानकारी को चीन में सर्वर पर संग्रहीत करता है.  यही सबसे बड़ी चिंता का कारण है, क्योंकि डेटा के चीन में होने से उसकी सुरक्षा और गोपनीयता पर सवाल खड़े होते हैं.

डीपसीक को लेकर भारत का दृष्टिकोण
भारत सरकार ने इन चिंताओं को गंभीरता से लिया है.  भारतीय सर्वर पर डीपसीक को होस्ट करके, भारत सरकार डेटा को देश के भीतर रखने और इस प्रकार संभावित दुरुपयोग या अनधिकृत पहुंच के जोखिम को कम करने का प्रयास कर रही है. यह कदम डेटा सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.  इसके अतिरिक्त, केंद्रीय मंत्री ने भारत में एक एआई सुरक्षा संस्थान शुरू करने की भी घोषणा की है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सुरक्षित और नैतिक उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.  सरकार का यह दृष्टिकोण आधुनिक तकनीक को सभी के लिए सुलभ बनाने पर केंद्रित है, और डीपसीक को भारतीय सर्वर पर होस्ट करना इसी दिशा में एक प्रयास है.