Indus Water Treaty Suspension: भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करते हुए पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने साफ शब्दों में कहा, ''हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सिंधु नदी का एक बूंद पानी भी पाकिस्तान न जाए.'' उनका यह बयान गृह मंत्री अमित शाह के घर हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद आया, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
वहीं भारत ने यह ऐलान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद किया, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान गई. इसके बाद, जल शक्ति मंत्रालय ने पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव को एक औपचारिक नोटिस भेजा. पत्र में लिखा गया, ''पाकिस्तान ने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर संधि की भावना का लगातार उल्लंघन किया है.''
तीन-स्तरीय रणनीति पर हो रहा काम
बता दें कि भारत अब तत्काल, मीडीअम टर्म और लॉन्ग-टर्म तीन स्तरों पर कार्रवाई की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है. फिलहाल, सिंधु, झेलम और चिनाब पर बने मौजूदा बांधों से गाद निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी ताकि इनकी जल भंडारण क्षमता बढ़ाई जा सके और पाकिस्तान को पानी कम मिले.
बताते चले कि भविष्य की योजना में नए जल परियोजनाओं और बांधों का निर्माण शामिल है, जिससे पानी का अधिकतम उपयोग भारत में हो सके. इस कदम से भारत को किशनगंगा और रैटल हाइड्रोपावर परियोजनाओं पर पाकिस्तान की आपत्तियों को नजरअंदाज करने का कानूनी और तकनीकी आधार भी मिल जाएगा.
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी तैयार है भारत
अगर विश्व बैंक या अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं आपत्ति जताती हैं, तो भारत ने कानूनी जवाब की तैयारी कर रखी है. साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की स्थिति समझाने के लिए कूटनीतिक संपर्क भी लगातार जारी है.
इसके अलावा पाकिस्तान ने भारत को चेतावनी दी है कि सिंधु जल के प्रवाह को रोकना 'युद्ध जैसी कार्रवाई' मानी जाएगी. हालांकि, भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह देशहित से कोई समझौता नहीं करेगी.