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India Daily

विकसित भारत का सपना पूरा करने के लिए हर साल 80 लाख नौकरियां पैदा करना जरुरी, अमेरिका में बोले CEA वी. अनंथा नागेश्वरन

भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन ने कहा कि भारत को 2047 तक ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य हासिल करने के लिए अगले 10-12 सालों तक हर साल 80 लाख नौकरियां पैदा करनी होंगी.

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Edited By: Garima Singh
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Chief Economic Advisor V. Anantha Nageswaran: भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन ने कहा कि भारत को 2047 तक ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य हासिल करने के लिए अगले 10-12 सालों तक हर साल 80 लाख नौकरियां पैदा करनी होंगी. इसके साथ ही, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को बढ़ाना होगा. कोलंबिया विश्वविद्यालय में आयोजित ‘कोलंबिया इंडिया शिखर सम्मेलन 2025’ में नागेश्वरन ने यह बात कही. 

नागेश्वरन ने कहा, "हमारा लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करना है. भारत के विस्तृत क्षेत्र के अलावा सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अगले 10-20 सालों तक बाह्य वातावरण उतना अनुकूल नहीं रहने वाला है, जितना 1990 से शुरू होकर पिछले 30 वर्षों में रहा होगा.' उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), प्रौद्योगिकी और रोबोटिक्स जैसी चुनौतियों का सामना करना होगा, जो आज के विकसित देशों को अपनी विकास यात्रा में नहीं झेलना पड़ा. 

विनिर्माण और एमएसएमई का महत्व

उन्होंने बताया किया कि, 'भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारतीय व्यवसायों को शामिल करना होगा और एक मजबूत लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME ) क्षेत्र विकसित करना होगा. नागेश्वरन ने कहा, "जो देश विनिर्माण क्षेत्र में महाशक्ति बन गए, वे लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के बिना ऐसा नहीं कर पाए हैं.' उन्होंने यह भी बताया कि निवेश दरों को बढ़ाने या मौजूदा निवेशों से अधिकतम लाभ प्राप्त करने की आवश्यकता है, क्योंकि वैश्विक पूंजी प्रवाह पर भी असर पड़ सकता है. 

नौकरियों पर एआई का प्रभाव

नागेश्वरन ने चेतावनी दी कि AI और प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव से शुरूआती स्तर की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं. उन्होंने कहा, "अगर आप उन नौकरियों की संख्या पर गौर करें जिन्हें हमें सृजित करने की जरूरत है, तो यह सालाना करीब 8 मिलियन यानी 80 लाख नौकरियां हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआती स्तर की नौकरियों को खत्म करने में बड़ी भूमिका हो सकती है.' 

निर्यात और आर्थिक वृद्धि की चुनौती

उन्होंने कहा कि भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता अब पहले जितनी आसान नहीं होगी. "गुणवत्ता, अनुसंधान एवं विकास, और आंतरिक रूप से लॉजिस्टिक्स और अंतिम-मील कनेक्टिविटी पर अपना काम बढ़ाना होगा.' नागेश्वरन ने बताया कि कोविड के बाद भारत ने पिछले तीन सालों  में 8% से अधिक की औसत वृद्धि दर हासिल की है, लेकिन इसे बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा. संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (UNCTAD) के मुताबिक, 2025 में भारत की वृद्धि दर 6.5% रहने की उम्मीद है.