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India Daily

चीन पर भारत का बड़ा एक्शन! पड़ोसी देश से आयात किए गए 5 प्रोडक्ट पर लगाई एंटी डंपिंग ड्यूटी

भारत का यह कदम घरेलू उद्योगों को संरक्षण देने और चीन से आने वाले सस्ते प्रोडक्टों पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से उठाया गया है. ऐसे में आने वाले सालों में इसका असर भारतीय बाजार और कारोबारिक संबंधों पर देखने को मिल सकता है.

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Edited By: Mayank Tiwari
चीन पर भारत का एक्शन
Courtesy: Social Media

भारत सरकार ने चीन से आयातित पांच उत्पादों पर एंटी-डम्पिंग शुल्क लगाने का फैसला लिया है. इस कदम का मकसद घरेलू उद्योगों को अनुचित मूल्य पर आयातित माल से बचाना है. जिन उत्पादों पर शुल्क लगाया गया है, उनमें सॉफ़्ट फेराइट कोर, वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क, एल्यूमीनियम फॉयल, ट्राईक्लोरो आइसोसाइन्यूरिक एसिड और पॉलि विनाइल क्लोराइड पेस्ट रेजिन शामिल हैं. ये उत्पाद भारत में सामान्य बाजार मूल्य से कम दरों पर बेचे जा रहे थे.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा जारी अधिसूचनाओं के अनुसार, इन उत्पादों पर एंटी-डम्पिंग शुल्क की अवधि 5 साल होगी. सॉफ़्ट फेराइट कोर, वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क और ट्राईक्लोरो आइसोसाइन्यूरिक एसिड पर यह शुल्क लागू होगा. एल्यूमीनियम फॉयल पर 6 महीने के लिए अस्थायी एंटी-डम्पिंग शुल्क लगाया गया है, जो प्रति टन 873 अमेरिकी डॉलर तक हो सकता है.

प्रमुख उत्पादों पर शुल्क 5 साल तक लागू रहेगा

भारत ने ट्राईक्लोरो आइसोसाइन्यूरिक एसिड (जो जल शोधन के लिए उपयोग होता है) पर 276 अमेरिकी डॉलर से लेकर 986 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक शुल्क लगाया है. सॉफ़्ट फेराइट कोर पर, जो इलेक्ट्रिक वाहनों, चार्जर्स और टेलीकॉम उपकरणों में इस्तेमाल होते हैं, शुल्क सीआईएफ (कॉस्ट, इंश्योरेंस, फ्रेट) मूल्य का 35% तक होगा.

वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क पर प्रति टन 1,732 अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाया गया है, जबकि पॉलि विनाइल क्लोराइड पेस्ट रेजिन पर शुल्क 89 अमेरिकी डॉलर से लेकर 707 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक रहेगा. ये शुल्क चीन, कोरिया, मलेशिया, नॉर्वे, ताइवान और थाईलैंड से आयातित उत्पादों पर लागू होंगे. साथ ही ये आगामी 5 साल तक प्रभावी रहेंगे.

भारत और चीन के बीच कैसे हैं कारोबारी रिश्ते

बता दें कि, ये फैसला वाणिज्य मंत्रालय की ट्रेड रेमेडीज निदेशालय (DGTR) की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है. एंटी-डम्पिंग शुल्क लागू करने का उद्देश्य उन देशों से आयातित उत्पादों पर नियंत्रण लगाना है, जो असामान्य रूप से कम मूल्य पर भारत में आते हैं. यह कार्रवाई विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा तय किए गए नियमों के तहत की जाती है.

हालांकि, भारत ने इससे पहले भी चीन से आने वाले कई सस्ते उत्पादों पर इसी तरह के शुल्क लगाए हैं. भारत और चीन दोनों ही WTO के सदस्य हैं, और यह कदम भारत के बढ़ते व्यापार घाटे को देखते हुए लिया गया है, जो 2023-24 में 85 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था.