चीन को भारत दिखाएगा उसकी औकात, हिंद महासागर में हिंदुस्तान ने बिछा दी बिसात!
India France Rafale Marine Jets Deal: भारत और फ्रांस के बीच फाइटर जेट्स को लेकर बड़ी डील होने वाली है. डील को लेकर सबकुछ ठीक रहा तो चालबाज चीन का हिंद महासागर में दम घुटना तय माना जा रहा है.
India France Rafale Marine Jets Deal: भारत कल यानी 30 मई को फ्रांस के साथ 26 राफेल-मरीन फाइटर जेट्स की खरीद के लिए ऑफिशियल कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन शुरू करने वाला है. ये डील 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की है. इंडियन नेवी अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर्स (INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य) के लिए इन सुपरसोनिक जेट्स को तुरंत शामिल करने के लिए उत्सुक है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते चीनी खतरे को मुंहतोड़ जवाब देगा.
फ्रांसीसी सरकार, फाइटर जेट्स बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट और हथियार प्रणाली इंटीग्रेटर थेल्स के अधिकारियों की एक टीम 30 मई यानी कल भारत पहुंचेगी. यहां फ्रांसीसी डेलिगेशन की भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से गठित कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमिटी (CNC) के साथ बातचीत होगी. एक अधिकारी के मुताबिक, CNC का नेतृत्व रक्षा मंत्रालय के अधिग्रहण विंग के एक अधिकारी करते हैं और इसमें नौसेना के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं.
इस बातचीत का उद्देश्य टेक्निकल-कॉमर्शियल बातचीत को पूरा करना और इस वित्तीय वर्ष के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की ओर से अपेक्षित मंजूरी के बाद सरकार-से-सरकार सौदे पर हस्ताक्षर करना है. 26 राफेल-मरीन और तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए प्रस्तावित सौदे को पिछले साल 13 जुलाई को राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद की ओर से आवश्यक स्वीकृति प्रदान की गई थी, जो पेरिस में मोदी-मैक्रों शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले हुआ था. तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण मझगांव डॉक्स में लगभग 30,000 करोड़ रुपये में किया जाना है.
इंडियन नेवी के पास 40 मिग-29K जेट्स मौजूद
फिलहाल, इंडियन नेवी के पास 2009 से 2 बिलियन डॉलर की लागत से रूस से शामिल किए गए 45 मिग-29K जेट में से केवल 40 ही हैं, जो 40,000 टन से अधिक वजनी एयरक्राफ्ट कैरियर्स (INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य) से संचालित होते हैं. मिग-29K पिछले कुछ सालों में खराब सेवाक्षमता (Serviceability) और अन्य समस्याओं से भी जूझ रहे हैं.
स्वदेशी ट्विन-इंजन डेक-बेस्ड फाइटर (TEDBF) के चालू होने में कम से कम एक दशक लगने की संभावना के साथ, इंडियन नेवी ने अंतरिम उपाय के रूप में 26 राफेल-एम जेट पर जोर दिया था. सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ हुए 59,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत भारतीय वायुसेना ने पहले ही 36 राफेल को शामिल कर लिया है.
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