Missile K-4: भारत ने INS अरिघात से खतरनाक परमाणु मिसाइल का परीक्षण किया है. इस मिसाइल की मारक क्षमता 3500 किलोमीटर है. आईएनएस अरिघात परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बी है, जिसे अगस्त महीने में ही भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. अब इसी अरिघात से परमाणु मिसाइल का परीक्षण किया गया है.
भारतीय नौसेना ने इस मिसाइल का परीक्षण बुधवार को विशाखापत्तनम के समुद्री तट पर किया. इस मिसाइल परीक्षण में K-4 मिसाइल शामिल थी, जो एक ठोस ईंधन वाली SLBM है. यह INS अरिघात से K-4 मिसाइल का पहला परीक्षण था, जिसे अगस्त में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. पिछले कई सालों से K-4 का परीक्षण अब तक केवल सबमर्सिबल पोंटून से ही किया जाता रहा है. परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात का संचालन स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड करता है.
Under PM Shri @narendramodi ji's visionary leadership, #India scales new heights in defense! The successful K-4 ballistic missile test (3,500 km range)from INS Arighaat reinforces our nuclear triad’s sea leg.
— Zubin Ashara (@zubinashara) November 28, 2024
Salute to brilliance of @DRDO_India scientists for historic feat! pic.twitter.com/n9txTJuthc
भारत ने 27 से 30 नवंबर के बीच 3,490 किलोमीटर के उड़ान गलियारे में मध्यम दूरी की मिसाइल के परीक्षण के लिए एयरमेन को नोटिस (NOTAM) और सार्वजनिक चेतावनी जारी की थी.सूत्रों ने बताया कि परीक्षण के परिणामों का विस्तृत विश्लेषण किया जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि मिसाइल ने अपने परीक्षण मापदंडों और उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया या नहीं.
K-4 मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने देश की परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों को हथियार देने के लिए विकसित किया है. अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के पास पहले से ही 5,000 किलोमीटर से ज़्यादा रेंज वाली SLBM हैं. 6 हजार टन वजनी आईएनएस अरिघात भारत की नवीनतम परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी है, जो देश की दूसरी-हमलावर क्षमता को मजबूत करती है. पहली परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी, आईएनएस अरिहंत, जिसे 2016 में सेवा में शामिल किया गया था, केवल 750 किलोमीटर की रेंज वाली K-15 मिसाइलों से लैस है.
आईएनएस का नया वर्जन इससे भी खतरनाक होगा, बताया जा रहा है कि आईएनस की तीसरी पनडुब्बी 7 हजार टन वजनी होगी. तीसरी पनडुब्बी मौजूदा दोनों पनडुब्बियों से बड़ी और अधिक सक्षम होगी. इसे अगले साल सेना में शामिल किए जाने की संभावना है.