INDI गठबंधन के भविष्य पर सवाल? सीट शेयरिंग को लेकर अब तक शुरू नहीं हुई बात...कांग्रेस को है इस बात का इंतजार
INDI Alliance Seat Sharing: विपक्षी गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा अब तक शुरू नहीं हो पाई है. ऐसे में अब गठबंधन के भविष्य को लेकर भी कयासों का दौर शुरू हो गया है.
INDI Alliance Seat Sharing: केंद्र की बीजेपी सरकार को लोकसभा चुनाव में मात देने के मकसद से बने विपक्षी गठबंधन कि दिशा शायद अभी तक तय नहीं हो पाई है. ऐसा इसलिए क्योंकि मुंबई में INDI गठबंधन नेताओं की हुई बैठक को 50 से अधिक दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक गठबंधन में शामिल दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू होनी बाकी है. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर समाजवादी और कांग्रेस के बीच जिस तरह से बयानबाजी हुई है उसके बाद तो गठबंधन के भविष्य को लेकर भी कयासों का दौर शुरू हो गया है.
मुंबई में पास हुआ था प्रस्ताव
मुंबई में हुई विपक्षी दलों की बैठक में शामिल पार्टियों ने लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने का संकल्प लिया था. बैठक में प्रस्ताव भी पास हुआ था. प्रस्ताव में कहा गया था कि सीट बंटवारे पर अलग-अलग राज्यों में चर्चा शुरू की जाएगी और जल्द से जल्द से इसे पूरा किया जाएगा. इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में जनसभाएं आयोजित की जाएंगी. अब यहां गौर करने वाली बात ये है कि प्रस्ताव पास होने के बाद भी INDI गठबंधन की चाल सुस्त नजर आ रही है.
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कांग्रेस को है किसका इंतजार?
आगामी चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा में देरी के लिए कम से कम दो विपक्षी दलों ने सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. कहा तो ये भी जा रहा है कि कांग्रेस आगामी चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रही है. उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में नतीजे उनके लिए बेहतर होंगे अन्य घटकों की तुलना तब कांग्रेस चर्चा कर पाने में बेहतर स्थिति में होगी.
दिख रही दरार
कहना गलत नहीं होगा कि विधानसभा चुनाव से पहले ही विपक्षी गठबंधन के घटक दलों में दरारें दिखने लगी हैं. गठबंधन के भविष्य को लेकर कहा जा सकता है कि इसमें शामिल घटक दलों के ना मन मिल रहे हैं ना ही विचार. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी या फिर तृणमूल कांग्रेस, आपसी रस्साकशी सतह पर दिख रही है. नीतीश कुमार का भी बीजेपी प्रेम हैरान करने वाला है.
गठबंधन की सबसे बड़ी समस्या
गठबंधन में सबसे बड़ी समस्या सीट शेयरिंग ही थी और ये आशंका अब सच भी साबित होने लगी है. क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस का समीकरण बन नहीं पा रहा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस को धोखेबाज बता चुके हैं. कांग्रेस के दिग्गज नेता और एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने सपा प्रमुख को तवज्जो ना देते हुए कहा था- 'अखिलेश वखिलेश को छोड़िए'. राम गोपाल यादव ने कमलनाथ को छुटभैया नेता बता डाला है. कांग्रेस यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर तैयारी की बात कहती नजर आ रही है. दिल्ली को लेकर भी यही बात सामने आ चुकी है. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ भी कांग्रेस की बन नहीं रही. असल में गठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल पहले ही दिन से थे जो अब नजर भी आ रहा है.
ये भी जानें
विपक्षी एकता दिखाने वाले गठबंधन में दो दर्जन से अधिक दल शामिल हैं. ऐसे नें कांग्रेस अगर सबको संतुष्ट करती है तो उसके खाते में डेढ़-दो सौ से अधिक सीटें नहीं आएंगी, जबकि कांग्रेस ने 350 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रखा है. सीट बंटवारे का पेंच हर राज्य में फंसता नजर आ रहा है और शायद वजह यही है कि अब तक सीटों के बंटवारे को लेकर INDI गठबंधन दलों के बीच बातचीत शुरू नहीं हो पाई है. आगे क्या होगा इसपर भी हमारी नजर बनी रहेगी.
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