अब दुश्मन की रडार से बच निकलेंगे भारत के लड़ाकू विमान, IIT कानपुर ने बना डाली क्रांतिकारी शील्ड
आईआईटी कानपुर ने एक ऐसी अदृश्य शील्ड बनाने में सफलता पाई है जो भारतीय सेना के लड़ाकू विमानों और टैंकों जैसे सैन्य उपकरणों को दुश्मन की रडार से अदृश्य या लगभग अदृश्य बना देगा. IIT कानपुर द्वारा विकसित इस तकनीक का 90 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी रूप से तैयार किया गया है.
आईआईटी कानपुर ने एक ऐसी अदृश्य शील्ड बनाने में सफलता पाई है जो भारतीय सेना के लड़ाकू विमानों और टैंकों जैसे सैन्य उपकरणों को दुश्मन की रडार से अदृश्य या लगभग अदृश्य बना देगा.
IIT कानपुर का 'अना लक्ष्या' शील्ड
IIT कानपुर द्वारा विकसित इस तकनीक को "मेटा-मटीरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम" (MSCS) कहा गया है, और इसे 'अना लक्ष्या' नाम दिया गया है. यह प्रणाली भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किए जा रहे 'एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट' (AMCA) के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. AMCA एक 'स्टेल्थ फाइटर' है जिसे दुश्मन के वायु रक्षा रडार से लगभग अदृश्य बनाने के लिए डिजाइन किया जा रहा है.
स्वदेशी तकनीक का प्रभावी परीक्षण
अना लक्ष्या प्रणाली ने 2019 से 2024 तक व्यापक प्रयोगशाला और क्षेत्र परीक्षणों में अपनी क्षमता साबित की है. इस तकनीक ने विभिन्न परिस्थितियों में अपनी प्रभावशीलता को सिद्ध किया है. अब भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा इसे अपनाया जा रहा है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से इसकी रणनीतिक महत्ता साफ तौर पर उभर कर सामने आई है.
शील्ड का 90 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी
IIT कानपुर द्वारा विकसित इस तकनीक का 90 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी रूप से तैयार किया गया है. इसे उद्योग में उत्पादन के लिए निजी कंपनी "मेटा तत्त्व सिस्टम्स" को लाइसेंस भी प्रदान किया गया है, जो इस तकनीक के निर्माण और तैनाती को देखेगी. यह कदम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.
कैसे काम करती है यह तकनीक?
स्टेल्थ सिस्टम दुश्मन के रडार से बचने के लिए दो प्रमुख उपकरणों का उपयोग करते हैं. पहला, इसके बाहरी सतह को छोटे-जैग्ड पैनल्स से इंजीनियर किया जाता है जो रडार तरंगों को फैलाते हैं, बजाय इसके कि बड़े सपाट सतहें रडार तरंगों को वापस परावर्तित करें, जो रडार एंटीना द्वारा पकड़ी जा सकती हैं.
दूसरी तकनीक रडार-गाइडेड मिसाइलों से सुरक्षा प्रदान करती है. यह प्रणाली एक "टेक्सटाइल-बेस्ड, ब्रॉडबैंड मेटा-मटीरियल माइक्रोवेव अवशोषक" का उपयोग करती है जो एक विस्तृत स्पेक्ट्रम में तरंगों को अवशोषित करती है, जिससे रडार द्वारा इमेजिंग से बचाव होता है. IIT कानपुर के अनुसार, यह तकनीक रडार और SAR इमेजिंग के खिलाफ स्टेल्थ क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाती है.
सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा में परिवर्तनकारी योगदान
अना लक्ष्या MSCS न केवल विभिन्न तरंगों को अवशोषित करता है, बल्कि यह रडार-गाइडेड मिसाइलों से प्रभावी सुरक्षा भी प्रदान करता है. यह प्रणाली राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा और विशेष उद्योगों में नए मानकों की स्थापना करती है और भविष्य में भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत बनाएगी.