भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे और जर्मनी की जोहान्स गुटेनबर्ग यूनिवर्सिटी, माइनज़ के रिसर्चर ने 2022 की भीषण गर्मी पर एक अहम अध्ययन में यह साफ किया है कि दक्षिण एशिया में मार्च और अप्रैल के दौरान पड़ने वाली असामान्य लहरों के पीछे अलग-अलग वायुमंडलीय प्रक्रियाएं ज़िम्मेदार थीं. शोध दल ने पाया कि 2022 के मार्च और अप्रैल में असामान्य रूप से तीव्र ताप लहर की घटनाएं, जिनमें तापमान साल के उस समय के सामान्य सीमाओं से कहीं अधिक था, जहां कई वायुमंडलीय प्रक्रियाओं द्वारा संचालित थीं, जिन्होंने ताप लहर के प्रभावों को बढ़ा दिया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये रिसर्च जनरल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है. इस रिसर्च के प्रमुख लेखक रोशन झा के अनुसार,“मार्च की लू का मुख्य कारण उच्च वायुमंडलीय हवाओं में अचानक आई रोस्बी तरंगों की तीव्रता में बढ़ोतरी थी. ये तरंगें ऊपरी हवाओं में बहती बड़ी लहरों जैसी होती हैं, जो एक नदी की तरह मुड़ती हैं. जब ध्रुवों के पास की पश्चिमी हवाएं (एक्स्ट्राट्रॉपिकल जेट स्ट्रीम) भूमध्य रेखा के पास की पश्चिमी हवाओं (सबट्रॉपिकल जेट स्ट्रीम) के करीब आईं, तो उन्होंने उनमें ऊर्जा स्थानांतरित की, जिससे गर्मी और ज्यादा तेज हो गई.
अप्रैल की गर्मी: सूखी ज़मीन और पड़ोसी देशों से गर्म हवा का प्रवाह
अप्रैल की गर्मी एक अलग प्रक्रिया का परिणाम थी।. इस बार उच्च वायुमंडलीय हवाएं उतनी भूमिका में नहीं थीं, बल्कि सूखी मिट्टी और पाकिस्तान-अफगानिस्तान की ओर से आने वाली गर्म हवाओं ने स्थिति को विकराल बना दिया. इस बीच IIT बॉम्बे की प्रोफेसर अर्पिता मोंडल ने समझाया,“जब मिट्टी में नमी होती है, तो सूरज की किरणों का एक हिस्सा उस नमी को वाष्पित करने में लगता है. लेकिन जब मिट्टी पूरी तरह सूख जाती है, तो सारी ऊर्जा सीधे हवा को गर्म करने में लगती है. हालांकि, मार्च की लू ने पहले ही मिट्टी को सुखा दिया था, जिससे अप्रैल की गर्मी और अधिक भयानक हो गई है.
लगातार हीटवेव्स: भविष्य के लिए चेतावनी
IIT बॉम्बे के प्रोफेसर सुबिमल घोष ने कहा,“इस रिसर्च से पता चलता है कि एक हीटवेव दूसरी, और भी खतरनाक हीटवेव की नींव रख सकती है. यह समझना बेहद ज़रूरी है ताकि हम भविष्य में ऐसी घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी कर सकें और समय रहते तैयारी कर सकें.