Owaisi On Indus Treaty: असदुद्दीन ओवैसी ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर केंद्र सरकार से सख्त और प्रभावी कदम उठाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के समर्थन से सक्रिय आतंकी समूहों के खिलाफ अब सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है. सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले को उन्होंने जरूरी कदम बताया, लेकिन साथ ही सरकार से सवाल भी पूछा कि “अब हम पानी को कहां स्टोर करेंगे?”
'पानी रोकना अच्छा कदम, लेकिन भंडारण कहां?'
बता दें कि नई दिल्ली में आयोजित सर्वदलीय बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, ''यह बहुत अच्छी बात है कि सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन हम पानी कहां रखेंगे? केंद्र सरकार जो भी फैसला लेगी, हम उसका समर्थन करेंगे. यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है.''
#WATCH | Delhi: After attending the all-party meeting convened by the central government, AIMIM chief Asaduddin Owaisi says, "...The central government can take action against the nation which shelters the terrorist groups. The international law also permits us to do an air and… pic.twitter.com/mg3qjKsEnx
— ANI (@ANI) April 24, 2025
अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जवाब देने का अधिकार
ओवैसी ने कहा कि भारत के पास अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आत्मरक्षा में जवाब देने का पूरा अधिकार है. उन्होंने कहा: "केंद्र सरकार आतंकवादी समूहों को पनाह देने वाले देश के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. अंतरराष्ट्रीय कानून हमें पाकिस्तान के खिलाफ हवाई और नौसैनिक नाकाबंदी करने और उन्हें हथियार बेचने पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है."
बैसरन हमले में सुरक्षा चूक पर उठाए सवाल
वहीं ओवैसी ने बैसरन मैदान में हमले के दौरान सीआरपीएफ की गैर-मौजूदगी और प्रतिक्रिया में देरी पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ''बैसरन मैदान में सीआरपीएफ को क्यों नहीं तैनात किया गया? त्वरित प्रतिक्रिया दल को वहां पहुंचने में एक घंटा क्यों लगा? उन्होंने लोगों का धर्म पूछकर गोली मारी.''
सरकार ने माना - 'कहीं न कहीं चूक हुई है'
सूत्रों के मुताबिक, सर्वदलीय बैठक के दौरान एक सत्ताधारी नेता ने माना कि सुरक्षा व्यवस्था में चूक हुई है. ''अगर कुछ भी गलत नहीं हुआ होता, तो हम यहां क्यों बैठे होते? कहीं न कहीं चूक हुई है, जिसका हमें पता लगाना होगा.''
पहलगाम हमला, पुलवामा से भी भयावह
इतना ही नहीं, आगे ओवैसी ने हमले की तुलना उरी और पुलवामा से करते हुए इसे 'और भी दर्दनाक और खतरनाक' बताया था. उन्होंने इसे खुफिया तंत्र की विफलता करार देते हुए सरकार से रणनीति पर पुनर्विचार की मांग की.