सरकार बनाते ही चीन को तगड़ा झटका देने की तैयारी में हैं नरेंद्र मोदी? समझिए क्या है भारत की तैयारी

Indian Economy: एग्जिट पोल के रुझान अगर नतीजों में बदले तो नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन जाएंगे. इस बार नरेंद्र मोदी कुछ अलग करने का ऐलान कर रहे हैं, जिसके जरिए देश की आर्थिक प्रगति को सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी.

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Exit Polls के नतीजे सामने आ चुके हैं. लगभग सभी एग्जिट पोल्स यह इशारा कर रहे हैं कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाला NDA गठबंधन लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रहा है. नरेंद्र मोदी चुनाव के समय से ही कह रहे हैं कि उन्होंने अगले 100 दिन की सरकार का प्लान तैयार कर लिया है. चर्चाएं हैं कि अगर मोदी सरकार 3.0 बनती है तो भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में काम किया जाएगा. अगर ऐसा होता है तो यह चीन के लिए चिंताजनक हो जाएगा. बीते कुछ सालों में भी भारत मैन्युफैक्चरिंग के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा और Apple के अलावा टेस्ला जैसी कंपनियां भी भारत को तरजीह दे रही हैं.

1 जून को आखिरी चरण की वोटिंग के बाद लगभग एक दर्जन एग्जिट पोल सामने आए. इन सबने बीजेपी की अगुवाई वाले NDA गठबंधन को लगभग 350 सीटें मिलने का अनुमान जताया है. ऐसे में एग्जिट पोल तो यह गारंटी दे रहे हैं कि केंद्र में प्रचंड बहुमत वाली मोदी सरकार बनने जा रही है. अगर ऐसा होता है तो नरेंद्र मोदी अपने 100 दिन वाले प्लान पर तेजी से काम शुरू कर देंगे. इस प्लान में कुछ ऐसे काम हैं जो भारत को आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में हो सकते हैं.

क्या करने वाले हैं नरेंद्र मोदी?

सूत्रों के मुताबिक, अगर मोदी की सरकार फिर से बनती है तो भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए कई प्रयास किए जाएंगे. मसलन, स्थायीय स्तर पर प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सब्सिडी दी जा सकती है. स्थानीय स्तर पर तैयार होने वाली चीजों के लिए जरूरी कच्चे माल के आयात पर टैक्स कम किया जा सकता है. दरअसल, इसी इंपोर्ट टैक्स की वजह से भारत में मैन्युफैक्चरिंग महंगी पड़ जाती है. बता दें कि अपने चुनावी भाषणों में भी पीएम मोदी बार-बार आर्थिक विकास को जारी रखने के वादे करते रहे.

दरअसल, बीते कुछ सालों में भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ र ही है. Google और Apple जैसी कंपनियों के भारत आने से टेक सेक्टर तेजी से उभर रहा है. हालांकि, इस सबसे बावजूद दुनिया की सिर्फ 3 पर्सेंट मैन्युफैक्चरिंग ही भारत में होती है. वहीं, चीन में दुनिया की 24 प्रतिशत मैन्युफैक्चरिंग होती है. अब भारत के निशाने पर यही है और वह अपनी 3 पर्सेंट हिस्सेदारी को बढ़ाने की तैयारी कर रही है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लक्ष्य रखा गया है कि 2030 तक इसे 5 पर्सेंट और 2047 तक 10 पर्सेंट पहुंचाया जाए. 

क्यों महंगी है मैन्युफैक्चरिंग?

भारत में जो कच्चा माल मिलता है उनसे उत्पाद कम तैयार होते हैं या फिर उनकी मार्केट वैल्यू कम होती है. वहीं, जिन उत्पादों की दुनिया में ज्यादा मांग है उनका कच्चा माल भारत के लोगों को महंगा पड़ता है. इसके अलावा, इंपोर्ट ड्यूटी, टैक्स, संसाधनों की कमी जैसी समस्याओं के चलते तैयार होने वाले उत्पाद इतने महंगे हो जाते हैं कि उनके लिए मार्केट में जगह नहीं बचती. रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरी बार सरकार बनने की स्थिति में मोदी इसी को ठीक करने की ओर काम कर सकते हैं.