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IC 814: 'जल्दी कुछ करो...', जब कंधार से रॉ चीफ आया था अजीत डोभाल का कॉल

IC 814: पूर्व रॉ चीफ ने कहा कि मुझे याद है कि 30 तारीख की सुबह अजीत डोभाल का फोन आया था और वह सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की आखिरी बैठक का दिन था. उन्होंने कहा, 'कृपया, इसे जल्दी से निपटा लें, यहां रहना बहुत मुश्किल है, ये लोग हमें कह रहे हैं कि यहां से चले जाओ नहीं तो जो कुछ भी होगा उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे'.

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Edited By: India Daily Live
IC 814
Courtesy: Social Medai

निर्देशक अनुभव सिन्हा की नई नेटफ्लिक्स सीरीज, आईसी 814: द कंधार हाईजैक चर्चा में है. इस सीरीज में घटना के बारे में बताने की कोशिश की गई है. काठमांडू से दिल्ली जा रही  इंडियन एयरलाइंस की एक फ्लाइट को पांच अपहरणकर्ताओं ने हाईजैक कर लिया था.

कंधार में जमीनी स्तर पर बातचीत चार सदस्यीय टीम द्वारा की गई जिसमें दो आईबी अधिकारी और रॉ के दो प्रतिनिधि शामिल थे. उस समय रॉ के प्रमुख एएस दुलत और रॉ के पूर्व विशेष सचिव आनंद अर्नी, जो कंधार में वार्ता दल का हिस्सा भी थे ने उस घटना को याद किया. उन्होंने बताया कि कंधार से उन्हें कॉल आए थे जिसमें उनसे मामले को जल्द से जल्द सुलझाने का आग्रह किया गया था. अर्नी ने बातचीत के उतार-चढ़ाव को याद किया, जिसका नेतृत्व अब एनएसए अजीत डोभाल कर रहे थे.

एएस दुलत ने कहा कि 'मैं अपहरण के बाद अगले दिन सुबह 10 बजे पहली सीसीएस (सुरक्षा पर कैबिनेट समिति) बैठक में मौजूद था और मैं आपको बता सकता हूं कि उस सुबह का माहौल ऐसा था कि देर-सबेर हमें झुकना ही पड़ेगा. एनएसए, बृजेश मिश्रा ने कहा कि मुझे लगता है कि आपको वार्ताकारों की एक टीम भेजने की जरूरत है.'

जब रॉ चीफ को आया डोभाल का कॉल

हमने दोनों पक्षों से दो-दो वार्ताकार भेजने का फैसला किया, दो आईबी से और दो रॉ से. रॉ से हमने पाकिस्तान पर अपने दो सबसे अच्छे विशेषज्ञ सीडी सहाय और आनंद अर्नी को भेजा और आईबी से वहां पर डोभाल थे... उन्हें जमीन पर बहुत मुश्किल समय का सामना करना पड़ा, क्योंकि मुझे वहां से कुछ हताशा भरे फोन कॉल आए थे, जिसमें कहा गया था, 'जल्दी करो और कुछ करो.'

'जल्दी से निपटा लें, यहां रहना बहुत मुश्किल है'

दुलत ने आगे कहा, मुझे याद है कि 30 तारीख की सुबह अजीत डोभाल का फोन आया था और वह सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की आखिरी बैठक का दिन था. उन्होंने कहा, 'कृपया, इसे जल्दी से निपटा लें, यहां रहना बहुत मुश्किल है, ये लोग हमें कह रहे हैं कि यहां से चले जाओ नहीं तो जो कुछ भी होगा उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे'.

सीरीज में गलत दिखाया गया? 

कंधार में ज़मीन पर हालात कितने ख़राब थे, यह पूछे जाने पर अर्नी ने कहा कि सबसे पहले, अगर आप वहां की सुख-सुविधाओं को देखें, तो यह रमज़ान का महीना था, वहां खाने के लिए कुछ नहीं था. शो में कहा गया कि उन्हें खाना मिला यह सच नहीं है. हमारे पहुंचने के दूसरे दिन ही संयुक्त राष्ट्र ने पेशावर से चिकने तथाकथित हैमबर्गर मंगवाना शुरू कर दिया. उनमें क्या था, मुझे नहीं पता. हमें जो सुविधाएं दी गईं उनमें बहुत कुछ कमी थी.