राहत मिशन के दौरान भारतीय वायुसेना के विमान को मिला गलत GPS सिग्नल, बड़ी सुरक्षा चूक से बचे पायलट
भारतीय वायुसेना के विमानों को म्यांमार में राहत सामग्री पहुंचाने के दौरान जीपीएस स्पूफिंग का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी नेविगेशन प्रणाली प्रभावित हुई.

Earthquake Hit Myanmar: भूकंप से प्रभावित म्यांमार को राहत सामग्री पहुंचाने गए भारतीय वायुसेना के परिवहन विमानों को 'GPS स्पूफिंग' का सामना करना पड़ा. सैन्य सूत्रों ने बताया कि यह साइबर हमला भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इससे विमानों की दिशा और स्थिति भ्रमित हो सकती है.
भारतीय वायुसेना ने 29 मार्च को C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान के जरिए म्यांमार में राहत सामग्री पहुंचाई, जो एक मानवीय सहायता मिशन का हिस्सा थी. विमान के पायलटों ने बताया कि जैसे ही विमान म्यांमार की हवाई सीमा में दाखिल हुआ, GPS सिग्नल में गड़बड़ी आने लगी. जांच के बाद सामने आया कि यह एक 'GPS स्पूफिंग' हमला था, जिसमें नकली GPS सिग्नल भेजकर विमान को गलत लोकेशन की जानकारी दी जाती है.
छह विमानों को मिला टारगेट
सूत्रों के मुताबिक, भारत ने कुल छह सैन्य विमानों के जरिए राहत सामग्री, फील्ड हॉस्पिटल और बचाव दल म्यांमार भेजे थे. इनमें से अधिकांश विमानों को इसी तरह के GPS हस्तक्षेप का सामना करना पड़ा. हालांकि, खतरे को समय रहते भांपते हुए पायलटों ने 'इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम' (INS) नामक बैकअप सिस्टम को सक्रिय कर दिया और सुरक्षित उड़ान जारी रखी.
क्या होता है GPS स्पूफिंग?
GPS स्पूफिंग एक तरह का साइबर हमला है जिसमें नकली GPS सिग्नल जनरेट किए जाते हैं. इससे विमान या अन्य वाहनों का नेविगेशन सिस्टम भ्रमित हो जाता है और वे गलत दिशा में जा सकते हैं. यह हमले विशेष रूप से सैन्य मिशनों में बेहद खतरनाक माने जाते हैं.
C-17 ग्लोबमास्टर भी था मिशन में शामिल
C-130J सुपर हरक्यूलिस के अलावा भारतीय वायुसेना ने भारी-भरकम C-17 ग्लोबमास्टर विमान को भी इस मिशन में शामिल किया था. इन विमानों ने न सिर्फ राहत सामग्री पहुंचाई बल्कि बचाव दल और मेडिकल सुविधाएं भी मुहैया कराईं.