देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का एक बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. निर्मला सीतारमण ने टैक्स को लेकर पूछे जाने वाले सवालों पर कहा है कि काश वह टैक्स को जीरो कर पातीं. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च भोपाल के एक कार्यक्रम में बोलते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि उनका काम पैसे लाना है और ये पैसे रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्च किए जाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह इस बात का भी ध्यान रखती हैं कि पैसे कमाने के लिए जनता को कष्ट न दिया जाए.
निर्मला सीतारमण ने कहा, 'भारत पैसे आने का इंतजार नहीं कर सकता है. पेरिस समझौते में किए गए वादे हमारे अपने पैसों से ही पूरे किए गए. कई बार ऐसे मौके आते हैं जब एक वित्त मंत्री के रूप में टैक्सों के लेकर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब देने का मन नहीं होता है. लोग पूछते हैं कि टैक्स इससे कम क्यों नहीं हो सकते?' उन्होंने देश के स्टूडेंट्स से अपील की है कि वे नए-नए और रचनात्मक तरीके खोजें ताकि'विकसित भारत' अभियान को बढ़ाया जा सके. निर्मला ने आगे कहा, 'मेरा काम रेवेन्यू जेनरेट करना है लेकिन मैं आपको भरोसा दिलाती हूं कि मैं लोगों को परेशान करके ऐसा नहीं करना चाहती.'
वित्त मंत्री ने जोर दिया कि टैक्स के रूप में मिलने वाले पैसों को रिसर्च और डेवलपमेंट पर लगाया जा रहा है. उन्होंने रिसर्च फंड जैसी योजनाओं का उदाहरण दिया, जिसकी घोषणा उभरते क्षेत्रों को लंबे समय के लिए पैसे मुहैया कराने के लिए अंतरिम बजट में की गई है. सीतारमण ने कहा, 'मैं चाहती हूं कि हमारे सामने ग्रेजुएट, पीएचडी धारकों की एक बड़ी शिक्षित फौज हो, जो भारत की चुनौतियों को समझ सके. मैंने अक्षय ऊर्जा और वैश्विक ऊर्जा का उदाहरण दिया है, जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए ऊर्जा के स्थायी स्रोतों में से एक है.'
उन्होंने कहा, 'कई बार सवाल होता है कि टैक्स ऐसा क्यों है? कम क्यों नहीं है? मैं भी इसे जीरो पर लाना चाहती हूं लेकिन देश के सामने बड़ी चुनौतियां हैं. उनसे भी पार पाना है.' इस संस्थान के 11वें दीक्षांत समारोह के दौरान ही मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ भवनों का शिलान्यास भी किया.