'मैं आपका प्रचार नहीं कर पाऊंगा, मन करे तो नाम वापस ले लीजिए...', अपनी ही पार्टी के कैंडिडेट्स से ऐसा क्यों बोले गुलाम नबी आजाद?

Jammu Kashmir Assembly Elections: जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में उतरी गुलाम नबी आजाद की पार्टी DPAP के उम्मीदवारों के सामने एक अजीब स्थिति बन गई है. खुद उसके ही नेता गुलाम नबी आजाद कह रहे हैं कि वह किसी के लिए प्रचार नहीं कर पाएंगे और अगर उम्मीदवार चाहें तो अपना नाम वापस ले लें.

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जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाई है. लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी लड़ी भी लेकिन कामयाबी नहीं मिली. विधानसभा चुनाव में भी उनकी पार्टी ने टिकट बांटे हैं लेकिन अब खुद गुलाम नबी आजाद ने कुछ ऐसा कहा है जिससे हर कोई हैरान है. गुलाम नबी आजाद का कहना है कि वह प्रचार नहीं कर पाएंगे. उन्होंने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों से भी कह दिया है कि चाहें तो वे अपना नाम वापस ले लें. बताते चलें कि पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन हो चुका है और 24 सीटों के लिए 18 सितंबर को वोट डाले जाएंगे. 

गुलाम नबी आजाद ने डेमोक्रेकिट प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) नाम से अपनी पार्टी बनाई है. पहले चरण में उनकी पार्टी के कुल 13 उम्मीदवारों ने पर्चे भरे हैं. लगातार इस पार्टी के नेता दूसरे दलों में भी जा रहे हैं और पार्टी को जमकर झटका भी लगा है. ऐसे में अब ऐसा लग रहा है कि गुलाम नबी आजाद के हौसले पस्त हो गए हैं और वह चुनावी राजनीति से ही किनारा करने वाले हैं. अब तो इस तरह की चर्चाएं भी हो रही हैं कि शायद उनकी DPAP दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव के लिए उम्मीदवार ही न उतारे.

गुलाम नबी आजाद ने क्या कहा?

उन्होंने कहा है, 'कुछ अप्रत्याशित हालात ने मुझे चुनाव प्रचार से पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया है. उम्मीदवार खुद आकलन करें कि वे मेरे बिना आगे बढ़ पाएंगे या नहीं. अगर उन्हें लगे कि मेरे न रहने से उनकी संभावनाओं पर असर पड़ेगा तो वे अपनी उम्मीदवारी वापस ले सकते हैं.' इसी के बाद दूसरे चरण (25 सितंबर) और तीसरे चरण (1 अक्तूबर) को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि पता नहीं आजाद की पार्टी अब उम्मीदवार उतारेगी भी या नहीं. बता दें कि पहले चरण के लिए उम्मीदवार शुक्रवार तक अपने नाम वापस ले सकते हैं.

बताते चलें कि लोकसभा चुनाव में DPAP ने अनंतनाग-राजौरी और ऊधमपुर-डोडा सीट पर उम्मीदवार उतारे थे. इन दोनों ही सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. इन दो सीटों में आने वाली 36 विधानसभा सीटों में एक भी सीट पर DPAP के उम्मीदवारों को बढ़त नहीं मिली थी. लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी के नेता लगातार दूसरे दलों में जा रहे हैं. ऐसे में लगता है कि गुलाम नबी आजाद के हौसले पस्त हो गए हैं और उनकी पार्टी अपनी जमीन बना पाने से पहले ही जमीन खो चुकी है.