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India Daily

'झरने, पहाड़ और वादियों वाला नहीं अब लाशों वाला वायनाड हूं...', मेरा दर्द देख रो पड़ेगा दिल

Waynad Landslide: बीते चार दिनों से वायनाड में हर दिन लाशें गिनी जा रही हैं. लैंडस्लाइड के बाद अभी तक 250 से ज्यादा लोगों के शव बरामद हुए हैं और यह संख्या हर मिनट बढ़ती जा रही है. भारतीय सेनाओं के साथ-साथ तमाम प्रशासनिक विभाग लोगों की मदद में जुटे हुए हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन जोरशोर से चल रहा है. सैकड़ों परिवारों के लोग कहां लापता हो गए हैं अभी तक यह भी पता नहीं चल पाया है. लोग अपनों को खोजने के लिए सरकार के भरोसे हैं. एंबुलेंस के काफिले लाशों को ढो रहे हैं और यहां की चीखें भी अब मौन होता जा रही हैं.

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Edited By: Nilesh Mishra
Rescue Operation
Courtesy: Social Media

मैं वायनाड हूं. वैसे तो मैं झरने, पहाड़, नदियों और अपनी खूबसूरत वादियों के लिए जाना जाता हूं लेकिन अब मेरी पहचान सैकड़ों लोगों के कब्रगाह की बन गई है. मेरा दिल यह सोचकर रो पड़ता है कि मैं सैकड़ों लोगों की जिंदगियां निगल चुका हूं. मेरी पहचान बने पहाड़ और वादियां अब मुर्दाघर जैसे हो चुके हैं. पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और इंसानों को जीवन देने वाला मेरा पानी ही लोगों का काल बना और अब मेरी गोद से सैकड़ों लाशें मुर्दाघरों को जा चुकी हैं. अभी भी सैकड़ों परिवार इंतजार में हैं कि मैं उनके चहेतों को जिंदा लौटा दूंगा लेकिन मैं भी मजबूर हूं. उसी प्रकृति के आगे हम सब घुटने पर हैं, जिसने मुझे इतना सुंदर बनाया कि लोग देश-विदेश से मेरी गोद में आते हैं.

सोशल मीडिया या इंटरनेट पर कुछ लिखकर अगर आप मेरे बारे में जानना चाहेंगे तो आपको सिर्फ तबाही की तस्वीरें दिखेंगी. मेरी वादियां बिखरी हुई दिखेंगी और शान से लहराते दरख्त जमींदोज दिखेंगे. जिस पानी के कल-कल बहने का शोर कर्णप्रिय लगता था, वही अब रूह कंपा रहा है. मेरे बाशिंदे पानी की आवाज से भी डर जाते हैं और उन्हें सोमवार-मंगलवार यानी 29 से 30 जुलाई के बीच हुई बारिश याद आ जाती है. वही बारिश जिसने पहाड़ों को पानी बना दिया और यही पानी एक ऐसा सैलाब लाया कि सैकड़ों लोग बह गए. अब तक 250 से ज्यादा लाशें मेरी गोद से निकाली जा चुकी हैं और मैं यहीं खड़ा आंसू बहा रहा हूं.

प्रभावित इलाके का मैप
प्रभावित इलाके का मैप Google Maps

आइए शुरू से शुरू करते हैं...

मैं यानी वायनाड अपने हिल स्टेशनों के लिए मशहूर हूं. 28 जुलाई से ही लगातार मूसलाधार बारिश हो रही थी. वैसे तो बारिश मेरे लिए नई नहीं है लेकिन 30 जुलाई की सुबह कुछ ऐसा हुआ जो नया न होकर तबाही का कारण बना. ऊंचाई के क्रम से देखें तो मेप्पडी सबसे ऊपर है, फिर नीचे की ओर मुंडकाई पड़ता है. उसके नीचे आने पर चूरलमाला बसा हुआ है. इससे थोड़ा और आगे जाने पर सूचिपारा वाटरफॉल आता है. ये सभी इलाके इरुवाझिंजी नदी के किनारे बसे हुए हैं. कई अन्य इलाके जैसे कि अटामला और नूलपुझा भी इससे प्रभावित हुए हैं. 

वायनाड में मची तबाही
वायनाड में मची तबाही Credit: Social Media

30 जुलाई की रात के लगभग 1 बजे पहली लैंडस्लाइड मुंडकाई में हुई. अगली लैंडस्लाइड लगभग 4:30 बजे हुई और मेप्पडी से लेकर चूरलमाला में हाहाकार मच गया. रात के अंधेरे में जब तक लोगों को कुछ समझ आता तब तक मिट्टी और पानी का मिलाजुला सैलाब अपने उफान पर आ चुका था. चूरलमाला में तबाही इस स्तर की थी इस गांव के लगभग सारे घर बह चुके हैं. गाड़ियां, घर और बाकी निर्माण भी सैलाब के आगे नतमस्तक हैं. चूरलमाला और मुंडकाई को जोड़ने वाला पुल टूट गया जिसके चलते मेरे निवासियों की मदद करने के लिए आए टीमों को तमाम समस्याएं भी झेलने पड़ीं.

दर्द इतना कि आंखों में न समाया

मेरी चीखें सरकार तक पहुंचीं तो तुरंत ही मदद भेजने की तैयारी हुई. स्थानीय पुलिस और प्रशासन के साथ-साथ आपदा प्रबंधन विभागों और भारतीय नौसेना से भी मदद मांगी गई. कन्नूर के एजिमाला नवल बेस से नेवी की टीम तुरंत रवाना हो गई. एयरफोर्स और इंडियन आर्मी के जवान भी जल्द से जल्द यहां पहुंचने लगे. केरल के मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को भी तैयार किया, कंट्रोल रूम बनाए गए और घटना के बाद लोगों को बचाने और उन्हें निकाले का काम शुरू हुआ. दूसरी तरफ पूरे केरल में लगातार बारिश जारी रही. खराब रास्ते, टूट पुल और धंसती जमीन के चलते लोगों को निकालने के लिए एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर बुलाए गए और मेरे लोगों को एयरलिफ्ट करके राहत कैंप या अस्पताल पहुंचाया जाने लगा.

जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन
जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन Credit: Social Media

30 जुलाई को ही NDRF के साथ-साथ सिविल डिफेंस और फायर एंड रेस्क्यू विभाग के सैकड़ों लोगों को तैनात कर दिया गया था. हालांकि, मेरा दर्द समय के साथ बढ़ता रहा और हर पल एक नई लाश मिलती गई. चूरलमाला के मेरे लोगों पर आया यह कहर इतना जोरदार था कि लोगों की लाशें यहां से लगभग 90 किलोमीटर दूर बसे पोथुकुल में मिलीं. अनुमान लगाया गया कि सैलाब के साथ ये लाशें बहकर वहां तक पहुंच गईं. मेरा दर्द केरल से होते हुए दिल्ली तक पहुंचा. सुबह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के सीएम पिनराई विजयन से बात की और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया. इस दौरान वायनाड में ही घायलों का इलाज भी शुरू कर दिया गया.

तस्वीरों ने रुला दिया

हादसे के बाद की जो तस्वीरें आईं उनमें मेरी ऐसी तस्वीर उभरी जिसकी शायद किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. हजारों पेड़ धराशायी हो चुके थे, लोगों के घरों का अता-पता नहीं था. कहीं मिट्टी में दबे लोगों के हाथ-पैर दिख रहे थे तो कहीं लाशें मलबे में उतराई हुई थीं. यह सब देखकर मेरा दिल रो ही रहा था कि एक वीडियो सामने आया. लगातार गुजरते एक काफिले में दर्जनों एंबुलेंस मेरे प्यारे लोगों की लाशें ले जा रही थीं. वही प्यारे लोग जो रात में सोए तो थे लेकिन फिर कभी उठ नहीं सके.

अभी तक 250 लोगों की जान जा चुकी है, सैकड़ों लोगों के परिवार तबाह हो गए हैं. इंसानों के अलावा घर तक लापता हो गए हैं. सेना के जवान, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन से जुड़े लोग जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं कि लोगों को भूस्खलन प्रभावित इलाकों से निकाला जाए और उनकी जान बचाई जा सके. हालांकि, मुझे उन लोगों की चिंता है जिनका अब तक कोई पता नहीं है. लोगों का कहना है कि सैकड़ों लोग सैलाब में बह गए हैं. वे कहां हैं, जिंदा हैं या मर गए, यही सोचकर मेरा दिल रो पड़ता है.