Defence Ministry: भारतीय सेना की ताकत अब और भी ज्यादा बढ़ने वाली है. अमेरिका के साथ भारत का 32 हजार करोड़ रुपए का डील डन हो चुका है. जिसमें 31 एमक्यू-9बी प्रिडेटर ड्रोन की डील फाइनल हो गई है. जिसके मुताबिक 31 ड्रोन्स में से कुछ-कुछ ड्रोन्स तीनों सेनाओं को दी जाएगी. साथ ही इस डील के तहत भारत में ड्रोन्स के मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल के लिए फैसिलिटी दी जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल अमेरिका यात्रा पर गए थे. इस यात्रा के दौरान अमेरिका की ओर से भारत को 31 हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन का प्रस्ताव मिला था. जिसमें MQ-9B Predator भी शामिल है. इस तरह का हंटर किलर ड्रोन काफी ऊंचाई तक जा सकता है, जिसके कारण इसे प्रिडेटर या रीपर भी कहा जाता है.
चारों कोने पर होगी नजर
भारत आने के बाद इन ड्रोन को देश की सुरक्षा में तैनात किया जाएगा. खबरों के मुताबिक चेन्नई के आईएनएस राजाली और गुजरात के पोरबंदर में भारतीय नौसेना द्वारा इसका संचालन किया जाएगा. वहीं गोरखपुर और सरसावा एयरफोर्स बेस में वायुसेना और आर्मी द्वारा इसका संचालन किया जाएगा. गोरखपुर और सरसावा बेस से चीन के लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर नजर रखने में आसानी होगी.
ड्रोन की क्या है खासियत
31 ड्रोन में से 15 ड्रोन्स समुद्री इलाकों की निगरानी के लिए रखा गया है. बाकी अन्य ड्रोनों को चीन और पाकिस्तान की सीमाओं की सुरक्षा में तैनात किया जाएगा. इस ड्रोन को किसी भी मिशन पर भेजा जा सकता है. जैसे की जासूसी करना, सूचना जमा करना या फिर सर्विलांस करने में ये ड्रोन माहिर है. इसके अलावा दुश्मन पर चुपके हमला करने में भी सक्षम है. इस ड्रोन का रेंज लगभग 1900 किलोमीटर तक है. साथ ही यह अपने साथ लगभग 1700 किलो तक वजन उठा सकता है. ड्रोन को जमीन पर बैठे संचालक वीडियो गेम की तरह ऑपरेट कर सकते हैं.
इस ड्रोन की ऊंचाई 12.6 फीट, लंबाई 36.1 फीट और विंगस्पैन 65.7 फीट है. इसका वजन लगभग 2223 किलोग्राम है. इसकी स्पीड 482 किमी/घंटा है. 50 हजार फीट की ऊंचाई से ये दुश्मन के ऊपर बम बरसा सकता है. आमतौर पर इसे 25 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ाया जाता है.