दिल्ली विधानसभा चुनाव में यमुना नदी से जुड़े मुद्दे ने अहम भूमिका निभाई और मतदाताओं की भावना को एक नया मोड़ दिया. खासकर हरियाणवी मूल के मतदाताओं की प्रतिक्रिया ने आम आदमी पार्टी (आप) के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दीं, जब उन्होंने यमुना के प्रदूषण को लेकर ‘आप’ के बयानों को अपने गृह राज्य पर हमला माना. इस बदलाव के कारण भाजपा को सत्ता में वापसी करने का अवसर मिला.
BJP की शानदार जीत और हरियाणवी मतदाताओं का प्रभाव
भा.ज.पा. ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 सीटों में से 48 सीटें जीतकर एक बड़ी सफलता हासिल की. पार्टी ने हरियाणवी मूल के 14 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से 12 ने विजय प्राप्त की. वहीं, ‘आप’ ने 10 हरियाणवी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन केवल 4 ही जीत पाए। खासकर उन 13 निर्वाचन क्षेत्रों में, जहां 10 प्रतिशत से अधिक जाट मतदाता हैं, भाजपा ने 11 सीटें जीतीं, जो 2020 से एक बड़ा उलटफेर साबित हुआ.
केजरीवाल का यमुना सफाई वादा और उसकी विफलता
दिल्ली में यमुना नदी की हालत लंबे समय से पर्यावरणीय उपेक्षा का प्रतीक रही है. साल 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि वह यमुना को साफ करेंगे, लेकिन यह वादा अब तक पूरा नहीं हो सका है. खासकर छठ पूजा के दौरान जब नदी में झाग की मोटी परत जमा हो जाती है, तो ‘आप’ सरकार को अपने अधूरे वादे की याद दिलाई जाती है.
यमुना का बयान 'आप' को महंगा पड़ा- खट्टर
केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, "जब केजरीवाल यमुना को साफ करने में विफल रहे, तो उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा में यमुना का पानी जहरीला किया जा रहा है. यह बयान ‘आप’ को बहुत महंगा पड़ा है. यदि यह बयान नहीं दिया होता, तो उनकी पार्टी और 5-7 सीटें जीत सकती थी. खट्टर ने यह भी कहा कि "दिल्ली के 40 प्रतिशत से अधिक निवासी हरियाणा से हैं और केजरीवाल का यह बयान दिल्ली-हरियाणा के लोगों का अपमान था."
प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प और BJP की सफलता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा की जीत के बाद शनिवार को कहा था, "मैंने चुनाव प्रचार के दौरान संकल्प लिया था कि हम यमुनाजी को दिल्ली की पहचान बनाएंगे. चाहे कितना भी समय लगे, चाहे जितनी भी ऊर्जा लगे, लेकिन यदि संकल्प मजबूत है, तो यमुनाजी का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेगा.