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जिस T-72 टैंक पर है देश को नाज, वही कैसे ले बैठा 5 जवानों की जान? खासियतों का पिटारा है ये हथियार

लद्दाख का न्योमा-चुशूल इलाका. भारतीय जवानों के लिए श्योक नदी काल बन गई. अचानक नदी का जलस्तर बढ़ा और देश के 5 सैनिकों की मौत हो गई. नदी का जलस्तर अचानक ऐसे बढ़ना लगा, जिसमें जवान बाहर निकल ही नहीं पाए. जवान, टैंक सहित नदी में डूबने लगे. जवानों की लाशें बरामद हो गई हैं. सेना के जवान एक सैन्य अभ्यास के बाद दे रात लौट रहे थे लेकिन तभी ये हादसा हो गया.

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T 72
Courtesy: Social Media

लद्दाख के न्योम-चुशूल में भारतीय सेना के 5 जवानों की डूबने से मौत हो गई. सभी जवान, एक युद्ध अभ्यास के बाद देर रात T-72 टैंक से लौट रहे थे. यह टैंक, पूर्वी लद्दाख के सासेर बांग्रासा में श्योक नदी के पास था, तभी अचानक बाढ़ गई. जवानों को इससे पहले कुछ और सोचने का मौका मिल पाता, जवान टैंक सहित डूब गए. यह टैंक, नदी या पानी को पार करने में सक्षम है लेकिन इस बार बड़ी चूक हो गई. टैंक, केवल 16.4 फीट गहरी नदियों को पार सकता है. बाढ़ की वजह से नदी का पानी 5 मीटर से ज्यादा हो गया, जिसके बाद पानी के अंदर टैंक बंद हो गया. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह टैंक, पानी में बुझ गया था. दोबारा यह चालू नहीं हुआ. दबाव कम हुआ तो इंजन में पानी भरने लगा. इस टैंक में एक डायमीटर वाला स्नोकर्ल लगा होगा है, वही भी फेल रहा, जिसके बाद टैंक बंद पड़ गया. इसका नतीजा ये निकला कि सेना के 5 जवान शहीद हो गए. पाचों जवानों के शव बरामद हो गए हैं. जवानों के नाम रिसालदार एमआर के रेड्डी, दफादार भूपेंद्र नेगी, लांस दफादार अकदुम तैयबम, हवलदार ए खान और नागराज पी हैं.

क्या है इस टैंक की खासियत?

T-72 टैंक पर अब सवाल उठ रहे हैं. जवानों के लिए यह टैंक काल बन गया. जो टैंक भारत की सबसे बड़ी मजबूती कहलाता है, उसी टैंक की वजह से जवान शहीद हो गए. इस टैंक को अपग्रेड करने की जरूरत अब है. इसे देश बीते 50 साल से इस्तेमाल कर रहा है. देश की सेना के पास ये टैंक, हजारों की संख्या में हैं. यह टैंक, भारतीय सेना में 70 की दशक में शामिल हुआ था. यह सड़क से लेकर कच्चे रास्ते और नदियों तक में बेधड़क दौड़ता है लेकिन इस बार हुए हादसे को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. 

कैसे भरोसेमंद टैंक बन गया जानलेवा?

टैंक में 125 एमएम की तोप होती है, जिसकी मारक क्षमता 460 किलोमीटर तक होती है. इस टैंक को अपग्रेड करने की कोशिशें की जा रही हैं. इसमें थर्मल साइट, फायर डिटेक्शन और सप्रेशन जैसे सिस्टम पर काम हो रहा है. ऐसे भी दावे किए जा रहे हैं कि इस टैंक में 1000 हॉर्स पावर के इंजन लगाए जाएंगे. इसमें आटोमैटिक टार्गेट ट्रैकर और डिजिटल बैलिस्टिक कंप्युटर और इमेजर लगाने की कोशिश हो रही है. यह टैंक अब पुराना हो गया है और इसे अब अपग्रेड करने की जरूरत होती है. इस टैंक का वजन करीब 4000 किलो है, यह भी इस टैंक के लिए मुसीबत बना. अचानक बादल फटने और नदी की जलस्तर बढ़ जाने की वजह से ये हादसा हुआ है. सामान्य दिनों में ये टैंक, 5 मीटर गहरी नदी पार लेता है. इससे ज्यादा जलस्तर बढ़ गया और यही काल बन गया.