नई दिल्ली: नीतीश कुमार एक फिर से एनडीए में लौट आएं हैं. रविवार की शाम 5 बजे उन्होंने 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. नीतीश कुमार ने लालू से अपना गठबंधन तोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. उनकी पार्टी जदयू के शामिल होने के बाद बिहार में जहां एनडीए मजबूत हुआ वहीं चुनाव में अब बीजेपी और सहयोगी दलों के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद बढ़ गई है.
2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए गठबंधन ने अच्छा प्रर्दशन किया था. 40 सीटों में से 39 सीट पर जीत मिली थी. तब इसमें बीजेपी, जदयू और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) शामिल थीं. फिर नीतीश कुमार ने बीजेपी साथ छोड़ दिया था, अब वो फिर से लौट आए हैं ऐसे में एक बार फिर से वहीं प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद है. खास बात ये है कि बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 का आंकड़ा पार करने का लक्ष्य रखा है. इसमें नीतीश का साथ मददगार होगा. जदयू ने 2019 में 16 लोकसभा सीटें जीती थीं. इस बार नीतीश के पक्ष में जाति सर्वेक्षण का और नौकरी देने का बड़ा मुद्दा है. वहीं बीजेपी के साथ अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की लहर है.
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में फिलहाल शामिल दलों की संख्या 38 है और जदयू के शामिल होने के बाद इसकी संख्या बढ़कर 39 हो गई है. बीजेपी और जदयू के अलावा जो दल एनडीए का हिस्सा हैं, वे हैं शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट), राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी (पारस), लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास पासवान), अपना दल (सोनेलाल), एआईएडीएमके, एनपीपी, एनडीपीपी, एसकेएम, आईएमकेएमके, आजसू, एमएनएफ, एनपीएफ, आरपीआई, जेजेपी, आईपीएफटी (त्रिपुरा), बीपीपी, पीएमके, एमजीपी, एजीपी, निषाद पार्टी, यूपीपीएल, एआईआरएनसी, टीएमसी (तमिल मनीला कांग्रेस), शिरोमणि अकाली दल सयुंक्त, जनसेना, एनसीपी (अजित पवार), हम, रालोसपा, सुभासपा, बीडीजेएस (केरल), केरल कांग्रेस (थॉमस), गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट, जनातिपथ्य राष्ट्रीय सभा, यूडीपी, एचएसडीपी, जन सुराज पार्टी (महाराष्ट्र) और प्रहार जनशक्ति पार्टी (महाराष्ट्र).