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कैबिनेट मंत्री जैसा जलवा, बड़े-बड़े कामों में अहमियत, समझिए नेता विपक्ष बने तो कितने पावरफुल होंगे राहुल गांधी?

Leader of Opposition Importance and Power: भारत में सरकार के गठन के बाद अब राष्ट्रपति ने विशेष सत्र के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. इस सत्र में सांसदों की शपथ के साथ ही लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा. इसी सत्र में नेता प्रतिपक्ष को मान्यता दी जाएगी. पूरी संभावना है कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बने. आइये जाने की ये पद कितना महत्व रखता है और राहुल गांधी को इस पद में कितनी अहमियत और पावर मिलेगीय.

Rahul Gandhi On Becomes Leader Of Opposition
Courtesy: IDL

Leader of Opposition Importance and Power: लोकसभा चुनाव के बाद सरकार का गठन हो गया है. मंत्रियों को विभागों का बटवारा कर दिया गया है. अब लोकसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के नाम तय होना बाकी है. इसका चुनाव लोकसभा के विशेष सत्र में हो जाएगा. इस बार कांग्रेस के पास 99 सीटें होने के कारण लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद जाएगा. इसके लिए पार्टी ने राहुल गांधी का नाम सुझाया है. आइये जानें अगर राहुल गांधी इस पद को लेते हैं तो उन्हें कितनी अहमियत और पावर मिलेगी.

देश में 2024 से नेता प्रतिपक्ष का पद आधिकारिक रूप से खाली है. क्योंकि, विपक्ष के किसी नेता के पास इतनी सीटें नहीं थी जो जरूरी योग्यता को पूरी करती हों. हाालांकि, इस बार कांग्रेस को ये पद मिलेगा. खार राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष होंगे या नहीं इसपर कुछ साफ नहीं कहा जा सकता. आइये जानते जानते हैं अगर वो इस पद में आते हैं तो उन्हें कितनी अहमियत मिलेगी और उनके पास क्या पावर होगी.

नेता प्रतिपक्ष का प

नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर 'लीडर ऑफ अपोजिशन इन पॉर्लियामेंट एक्ट 1977' में जानकारी दी गई है. लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को विपक्ष के नेता या नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दी जाती है. इसके लिए उस राजनीतिक पार्टी के पास कम से कम 10 फीसदी सीटें होनी चाहिए.

अधिकार और सुविधाएं

इनके अधिकार और सुविधाएं एक कैबिनेट मंत्री की तरह होती हैं. नेता प्रतिपक्ष लोक लेखा समिति का चेयरमैन होता है जो सरकार के फाइनेंशियल अकाउंट्स की जांच करती है. ये उन पैैसों की भी जांच करते हैं संसद से सरकार को खर्च के लिए दिए जाते हैं. इसके साथ नेता प्रतिपक्ष कई कमेटियों में  उपाध्यक्ष और सदस्य होता है. सभी बड़ी नियुक्तियां इनके मरजी के खिलाफ नहीं होती है.

इनकी नियुक्ति में होते हैं शामिल

केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, सूचना आयुक्त, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य होते हैं. अगर सिलेक्शन कमीशन में नेता प्रतिपक्ष को शामिल न  हों तो देश में ईडी, सीबीआई चीफ की नियुक्ति नहीं हो सकत है. इसके साथ वो इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति वाली कमेटी में भी होते हैं.

अगर राहुल नहीं बने तो कौन?

अगर राहुल नेता प्रतिपक्ष का पद स्वीकार नहीं करते हैं तो इस लिस्ट में आगे शशि थरूर, मनीष तिवारी, केसी वेणुगोपाल और गौरव गोगोई जैसे वरिष्ठ नेता हैं. दैनिक भास्कर से पत्रकार विजय पाठक ने कहा कि  नेता प्रतिपक्ष बोलने वाला होना चाहिए. सबसे बड़ी और खास बात की इसकी हिंदी पर मजबूत पकड़ हो. BJP गठबंधन से सरकार में आई है. ऐसे में विपक्ष ज्यादा एग्रेसिव होगा. हालाकि, पहले रंजन चौधरी ने खूब प्रयास किया, लेकिन हिंदी की तंगी के कारण उनकी बात आसानी से नहीं पहुंच पाती थी.