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India Daily

क्या घट गई है देश में बेरोजगारी, वित्त मंत्री के दावों में कितनी सच्चाई?

Employment in India: भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश में बेरोजगारी की स्थिति पर आंकड़े पेश किए हैं. रोजगार भारत जैसे बड़े देश में हमेशा एक गंभीर चुनौती रही है. आइए देखते हैं मंत्री के दावों में कितनी सच्चाई है.

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Edited By: Antriksh Singh
Nirmala Sitharaman

भारत में रोजगार की कमी एक बड़ी समस्या है, जो देश की अर्थव्यवस्था को लगातार प्रभावित करती है. दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक होने के कारण बेरोजगारी की दर में उतार-चढ़ाव का देश के विकास पर बहुत बड़ा असर पड़ता है. बुधवार को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बताया कि पांच साल में बेरोजगारी कम हो गई है और अब सिर्फ 3.2 प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं.

निर्मला सीतारमण ने क्या कहा

उन्होंने आंकड़े दिखाकर बताया कि 2017-18 में जो लोग बेरोजगार थे, उनमें से कई लोगों को 2022-23 में काम मिल गया है. सीतारमण ने यह भी बताया कि सरकार ने जो काम किए हैं, उनसे अनाज और दूसरी जरूरी चीजों के दाम कम हो गए हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि 2017-18 में जो लोग काम करते थे, वे 49 प्रतिशत थे, लेकिन 2022-23 में यह 57 प्रतिशत हो गया है. यानी श्रम शक्ति में बढ़ोतरी हुई है. सीतारमण ने यह भी बताया कि ईपीएफओ में 18 से 25 साल के लोगों की संख्या बढ़ी है और उनमें से 55 प्रतिशत लोग पहली बार ईपीएफओ में शामिल हुए हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि महिलाओं को भी ज्यादा काम मिला है और ई-श्रम पोर्टल पर जो 29 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, उनमें से 53 प्रतिशत महिलाएं हैं. 

सरकारी आंकड़े:

जुलाई 2022-जून 2023: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 3.2% थी, जो छह साल का निचला स्तर है.

पुरुषों में: बेरोजगारी दर 2017-18 में 6.1% से घटकर 2022-23 में 3.3% हो गई.

महिलाओं में: बेरोजगारी दर 2017-18 में 5.6% से घटकर 2022-23 में 2.9% हो गई.

शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी

राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 15 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च 2023 में घटकर 6.8 प्रतिशत हो गई है, जो एक साल पहले 8.2 प्रतिशत थी. यह सकारात्मक बदलाव बताता है कि मौजूदा आर्थिक चुनौतियों के बीच भी रोजगार बाजार में सुधार की संभावना है. 

हालिया ब्लूमबर्ग रिपोर्ट के मुताबिक, जो जुलाई 2023 के आंकड़ों का हवाला देती है, भारत में बेरोजगारी की दर 7.95% है. ये आंकड़े सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) से लिए गए हैं.

शहरों में हालात थोड़े सुधरे हैं. 15 साल या उससे ऊपर के लोगों के लिए बेरोजगारी दर पिछले साल के मुकाबले 1% कम हो गई है. अप्रैल-जून 2023 में ये दर 6.6% थी, जबकि पहले 7.6% थी.

चिंताएं भी हैं:

श्रमबल भागीदारी दर: यह 2017-18 में 61.1% से घटकर 2022-23 में 57.4% हो गई है.

असंगठित क्षेत्र: 80% से अधिक वर्कफोर्स असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है, जो अस्थिर और कम वेतन वाला होता है.

युवाओं में बेरोजगारी: 24 वर्ष से कम आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 16.4% है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है.

शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी: शिक्षित युवाओं में भी बेरोजगारी बढ़ रही है.

हाल के मौसम के कारण भी आर्थिक स्थिति में बदलाव आया है. बारिश की वजह से आधे से ज्यादा खेतों पर असर पड़ा है, लेकिन उम्मीद है कि फसल उत्पादन बढ़ेगा. इससे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा और खेती में रोजगार के मौके बढ़ सकते हैं.

अपना बिजनेस करना चाहते हैं लोग

दूसरी तरफ, मुद्रा लोन बांटने, स्टार्टअप रजिस्ट्रेशन और टैक्स रिटर्न बढ़ने से संकेत मिलता है कि लोग अब बिजनसमैन बनना पसंद कर रहे हैं. पिछले साल के मुकाबले अब 57.3% लोग खुद का काम कर रहे हैं, जिसमें खेती, छोटा धंधा या घर का काम भी शामिल है.

चुनौतियां:

आर्थिक विकास की धीमी गति: भारत की अर्थव्यवस्था धीमी गति से बढ़ रही है, जिसके कारण नए रोजगार का सृजन कम हो रहा है.

तकनीकी बदलाव: स्वचालन, एआई और अन्य तकनीकी बदलावों के कारण कई पारंपरिक नौकरियां खत्म हो रही हैं.

कौशल का अभाव: कई युवाओं के पास आवश्यक कौशल नहीं हैं, जिसके कारण उन्हें नौकरी ढूंढने में मुश्किल होती है.
जनसंख्या वृद्धि: भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसके कारण बेरोजगारी का दबाव बढ़ रहा है.