menu-icon
India Daily

गुजरात के 'अमलसाद चीकू' को मिले GI टैग के बारे में कितना जानते हैं आप? इससे क्या फायदा होता है?

भारत में अब तक 600 से अधिक उत्पादों को जीआई टैग प्रदान किया जा चुका है. इसमें हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद, खाद्य पदार्थ और वस्त्र शामिल हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश के चंदेरी साड़ी और तमिलनाडु के कोल्हापुरी चप्पल जैसे उत्पादों को भी यह सम्मान मिला है.

auth-image
Edited By: Sagar Bhardwaj
How much do you know about GI tag given to Amalsad Chikoo of Gujarat

दक्षिण गुजरात के नवसारी जिले से आने वाला मशहूर अमलसाद चीकू अब एक नई पहचान के साथ सुर्खियों में है. इसे भौगोलिक संकेत (GI) टैग से सम्मानित किया गया है, जिसके साथ यह गुजरात का चौथा जीआई प्रमाणित खाद्य पदार्थ बन गया है. यह उपलब्धि न केवल क्षेत्र के किसानों के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि भारत की समृद्ध कृषि विरासत को भी उजागर करती है.

जीआई टैग का महत्व और प्रभाव
अमलसाद चीकू को यह सम्मान गुजरात विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (GUJCOST) और नवसारी कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से मिला है. जीआई टैग किसी उत्पाद की विशिष्टता और उसके भौगोलिक मूल को प्रमाणित करता है. इस टैग के साथ, अमलसाद चीकू अब गिर केसर आम, कच्छी खारेक और भालिया गेहूं के बाद गुजरात की सूची में शामिल हो गया है. विशेषज्ञों का कहना है, "यह टैग न केवल इस फल की मिठास और गुणवत्ता को संरक्षित करेगा, बल्कि किसानों को वैश्विक बाजार में बेहतर अवसर भी प्रदान करेगा."

अमलसाद चीकू की खासियत
नवसारी जिले के गणदेवी तालुका में उगाया जाने वाला यह चीकू अपनी मिठास, महीन बनावट और लंबी शेल्फ लाइफ के लिए प्रसिद्ध है. गुजरात अकेले भारत के 98% चीकू निर्यात में योगदान देता है, जिसमें नवसारी सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है. संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और बहरीन इसके प्रमुख आयातक हैं. इस टैग से स्थानीय किसानों को आर्थिक लाभ और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने की उम्मीद है.

जीआई टैग किसी उत्पाद को वैश्विक स्तर पर एक विशिष्ट पहचान देता है. उदाहरण के लिए, बनारसी साड़ी, दार्जिलिंग चाय, कश्मीरी पश्मीना और मैसूर सिल्क जैसे उत्पादों को उनकी उत्पत्ति और गुणवत्ता के आधार पर जीआई टैग मिला है. यह टैग स्थानीय कारीगरों और उत्पादकों को आर्थिक लाभ पहुंचाता है, क्योंकि यह उनके उत्पाद को बाजार में अलग पहचान देता है. साथ ही, यह उपभोक्ताओं को यह भरोसा दिलाता है कि वे असली और उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद खरीद रहे हैं.

भारत में जीआई टैग की यात्रा
भारत में अब तक 600 से अधिक उत्पादों को जीआई टैग प्रदान किया जा चुका है. इसमें हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद, खाद्य पदार्थ और वस्त्र शामिल हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश के चंदेरी साड़ी और तमिलनाडु के कोल्हापुरी चप्पल जैसे उत्पादों को भी यह सम्मान मिला है. विशेषज्ञों का कहना है, "जीआई टैग न केवल सांस्कृतिक धरोहर को बचाता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है." यह टैग अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी भारत की स्थिति को मजबूत करता है. जीआई टैग भारत की समृद्ध परंपरा और विविधता का प्रतीक है. यह स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाता है और उनकी कला को विश्व पटल पर पहचान दिलाता है.