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कैसे बने छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम जानी दुश्मन? जानिए अदावत की असली कहानी

1993 में मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद जिगरी दोस्त दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन अलग हो गए थे. दाऊद के गुर्गों को लेकर छोटा राजन गैंगवार करने लगा था. पढ़िए दोनों के अदावत की पूरी कहानी.

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कुख्यात गैंगस्टर छोटा राजन और अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं. हकीकत यह भी है कि किसी जमाने में दोनों कभी जिगरी दोस्त हुआ करते थे. दोनों के आपराधिक वारदातों से मुंबई हिल गई थी. कैसे दोनों जिगरी दुश्मन बने, क्या थी दुश्मनी की असली वजह, क्यों दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं, आइए समझते हैं इसकी कहानी

19 जनवरी 2003 को एक होटल व्यवसायी शरद शेट्टी की दुबई में गोली मारकर हत्या हो गई. वे दुबई के चर्चित इंडिया क्लब के लाउंज में टहल रहे थे तभी दो लोग आते हैं और ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने लगते हैं. आनन-फानन में लोग अस्पताल लेकर भागते हैं लेकिन तब तक शरद शेट्टी की मौत हो चुकी होती है. 

कौन था शरद शेट्टी, जिसे छोटा राजन ने मरवा दिया?

शरद शेट्टी कोई आम इंसान नहीं था. वह वैसे होटल व्यवसायी था लेकिन दाऊद इब्राहिम का उस पर हाथ था. दाऊद इब्राहिम की पूरी फंडिंग और फाइनेंस पर नजर वही रखता था. यह हमला, दरअसल उस हमले का जवाब था, जब दाऊद के गुर्गों ने छोटा राजन पर गोलियां बरसा दी थीं.

क्यों दाऊद के राइट हैंड को छोटा राजन ने मरवाया?

2000 में छोटा राजन जब बैंकॉक में था, तभी उस पर दाऊद की डी कंपनी ने एक हमला प्लान किया. बदमाशों ने छोटा राजन पर इतनी गोलियां बरसाईं कि वह होश खो बैठा. छोटा राजन को अधमरे हालत में छोड़कर बदमाश फरार हुआ. उसके राइट हैंड कहे जाने वाले रोहित वर्मा उर्फ हैमर पर 32 गोलियां बरसीं, जिसके बाद उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया.

छोटा राजन को लग गया था कि यह हमला शरद शेट्टी ने ही कराया है. इस हमले में डी कंपनी का हाथ है, क्योंकि दाऊद को चुनौती देने वाला उसके अलावा कोई और नहीं था.  ये हमले गैंगवार की शुरुआत थे. इससे पहले 90 के दशक में जब दोनों एक-दूसरे के काम के आड़े आने लगे तो जमकर गोलियां बरसती थीं.

कैसे अलग हुए थे दाऊद और छोटा राजन के रास्ते?

साल 1993 में हुए मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम के रास्ते अलग हो गए थे. छोटा राजन को मौका मिल गया था. उसने अपना गैंग बढ़ा लिया. छोटा शकील, दाऊद का धंधा संभालने लगा था. साल 1994 तक, राजन दुबई से कुआलालंपुर भाग गया था. उसके साथ डी कंपनी के कई गुर्गे शामिल हो गए थे. 

साल 1995 में दोनों के बीच खून-खराबा शुरू हुआ. छोटा राजन के गुर्गों ने दाऊद के गुर्गे सुनील सावंत की भी दुबई में गोली मारकर हत्या कर दी थी. दाऊद ने छोटा राजन के करीबी कहे जाने वाले मुंबई के होटल मालिक रामनाथ पय्यादे को गोली मारवा दिया. छोटा राजन ने दाऊद के तीन और गुर्गों को मार दिया.

दाऊद-छोटा राजन के गैंगवार से हिल गई थी मायानगरी
 
छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम के बीच भड़के गैंगवार में कई मासूम लोग मारे गए. कई दिगग्जों को मार डाला गया. साल 1995 में ही ईस्ट-वेस्ट एयरलाइंस के तत्कालीन चीफ तकीद्दीन वहीद को भी मार डाला गया. जून 1998 में नेपाल के पूर्व मंत्री मिर्जा दिलशाद बेग और मार्च 1998 में शिव सेना नेता मोहम्मद सलीम बडगुजर पर भी हमला हुआ. गैंगवार में दोनों खत्म हो गए. 

महाराष्ट्र पुलिस की दखल और केंद्रीय एजेंसियों की सख्त एक्शन की वजह से धीरे-धीरे डी कंपनी सिमटती गई और छोटा राजन को पुलिस ने  25 अक्टूबर, 2015 को इंडोनेशिया के बाली शहर से गिरफ्तार कर लिया था. अब वह तिहाड़ जेल में बंद है.