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India Daily

Caste Census: जातिगत जनगणना आम जनगणना से कैसे है अलग? पहलगाम हमले के बीच केंद्र सरकार के फैसले से मची सियासी हलचल

केंद्र सरकार देशभर में जाति जनगणना कराएगी. यह फैसला बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद लिया गया है. आइए समझते हैं क्या होती है जातिगत जनगणना और क्यों लंबे समय से इसे लेकर मांग रही थी.

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Edited By: Garima Singh
Caste Census
Courtesy: x

Caste Census: केंद्र सरकार देशभर में जाति जनगणना कराएगी. यह फैसला बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद लिया गया है. बुधवार की दोपहर केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बात की जानकारी दी है. कयास लगाए जा रहे थे कि हाल में हुए पहलगाम हमले के बाद सरकार कोई बड़ा एक्शन लेने वाली है, लेकिन सरकार के अचानक इस कदम ने सभी को चौंका दिया है.

बता दें, लंबे समय से देशभर में जाति जनगणना की मांग उठती रही है. विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी अपनी रैलियों में लगातार जाति जनगणना कराने का जिक्र किया है.

जाति जनगणना, मूल जनगणना से कैसे अलग?

जाति जनगणना का सीधा मतलब यह है कि देश में कौन-कौन सी जाति (Caste) के लोग रहते हैं? यानी जाति के आधार पर की गई जनगणना ही जातिगत जनगणना है. ये मूल जनगणना से इसी रूप में अलग है की इसका मुख्य फोकस जाती पर होता है. देश में आखिरी बार आजादी से पहले साल 1931 में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए गए थे. ध्यान देने वाली बात यह है कि उसके बाद भी साल 1941 में जातीय जनगणना के आंकड़े सामने नहीं आए. इसके अलावा, साल 2011 में यूपीए के शासनकाल में भी जातीय जनगणना की गई. इस बार भी कुछ कमियां बताकर इसके आंकड़े जारी नहीं किए गए.

बिहार चुनाव से पहले जातिगत जनगणना को मंजूरी

बात यह है कि इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. उससे पहले सरकार का यह कदम बिहार चुनाव के मद्देनजर भी देखा जा रहा है.

विपक्ष लगातार उठाता रहा है मांग

इस साल के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी का मुख्य चुनावी मुद्दा भी जाति जनगणना के आस-पास रहा था. उन्होंने हर रैली में इसका मुद्दा उठाया. बता दें, राहुल गांधी ने साल 2011 में भी हुई जनगणना के जाति आधारित आंकड़ों को सार्वजनिक करने का मुद्दा उठाया था. राहुल गांधी के अलावा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी समय-समय पर जाति आधारित जनगणना की मांग करते रहे हैं.