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नायब सिंह को सीएम बना कैसे बीजेपी ने पलटी हारी हुई बाजी, जानें कितने समीकरण साधे?

Nayab Singh Saini: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को एक बड़ा हेरफेर कर डाला. अचानक से खट्टर का इस्तीफा और नायब सिंह सैनी का सीएम बनना काफी चौंकाने वाला रहा. हालांकि इसके पीछे बीजेपी की बड़ी प्लानिंग है.

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Edited By: India Daily Live
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Nayab Singh Saini: हरियाणा में आज अचानक एक बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिला. मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया. इसके बाद भाजपा ने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया है. लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने एक दांव से कई समीकरणों को साधा है.  

हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें हैं, जिन पर अब भाजपा अकेले चुनाव लड़ेगी. उधर, 4 साल तक गठबंधन में रही जेजेपी से भाजपा अब अलग हो गई है. सूत्रों ने बताया है कि दुष्यंत चौटाला ने एक सीट की मांग की थी, जिसके बाद ये पूरा घटनाक्रम हुआ. हालांकि जेजेपी ने सरकार में अपना समर्थन वापस नहीं लिया था. इसी बीच खट्टर ने सीएम के पद से इस्तीफा देकर एक चौंकाने वाला सीन बना दिया. राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि भाजपा ने इस पूरे घटनाक्रम से कई समीकरण साधे हैं. 

हरियाणा विधानसभा में बीजेपी की स्थिति

मनोहर लाल खट्टर का सीएम के पद से इस्तीफा देना और नायब सिंह सैनी का सीएम की शपथ लेना सभी के लिए चौंकाने वाला रहा है. ये बदलाव मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए सीएम के नामों जैसा ही था. मध्य प्रदेश में भाजपा ने डॉ. मोहन यादव और राजस्थान में भजनलाल शर्मा को सीएम बनाकर चौंकाया था. सोमवार को पीएम मोदी हरियाणा के गुरुग्राम में थे. यहां उन्होंने मनोहर लाल खट्टर के कार्यों की जमकर तारीफ की. उधर, मंगलवार को इस फैसले ने सभी को चौंका दिया.

क्या है हरियाणा विधानसभा की स्थिति

सूत्रों के मुताबिक जेजेपी के दुष्यंत चौटाला और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच बातचीत चल रही है. इस वक्त भाजपा के पास 48 विधायकों का समर्थन है. इनमें 41 विधायक भाजपा, 6 निर्दलीय और गोपाल कांडा शामिल हैं. इस तरह से 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में भाजपा के पास पूर्ण बहुमत है. उधर, विपक्ष में 42 विधायक हैं. इनमें 30 कांग्रेस विधायक और 10 जेजेपी विधायक हैं. बाकी दो विधायक अन्य स्थानीय पार्टियों के हैं. 

बीजेपी ने 2014 से शुरू किया था प्रयोग

भारतीय जनता पार्टी की नजर इस बार गैर जाट वोटरों पर है. हालांकि हरियाणा जाटों का गढ़ माना जाता है, लेकिन भाजपा ने यहां साल 2014 से ही गैर जाट वोटरों को साधने की कोशिश की कर दी थी. भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां सात सीटें जीती थीं. इस दौरान पार्टी को 34.7 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. इसी साल भाजपा ने विधानसभा चुनाव में भी बड़ी बाजी मारी थी. भाजपा ने 90 में से 47 सीटों पर कब्जा किया था. 

हरियाणा में क्या है वोटरों का हाल

हरियाणा में आईएनएलडी को जाटों की पार्टी के रूप में देखा जाता है. आंकड़ों के अनुसार साल 2014 में आईएनएलडी को करीब 24 और कांग्रेस को 20 फीसदी वोट मिले थे. इसके बाद से भाजपा ने यहां गैर जाट वोटरों को साधना शुरू किया. पहली बार भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया, जो गैर जाट और गैर पंजाबी हैं. हालांकि इस फैसले से हरियाणा का जाट वोटर काफी नाराज हुआ था. हरियाणा में जाटों की आबादी कुल संख्या की 30 प्रतिशत है. वहीं सिख, सैनी. बिश्नोई और त्यागी समाज के लोगों की अच्छा खासी तादात है. 

साल 2019 में क्या रही थी भाजपा की स्थिति

जाटों की नाराजगी के बाद भी भाजपा की प्लानिंग सफल रही. क्योंकि साल 2019 के चुनाव में भाजपा को यहां कुल 58.2 प्रतिशत वोट हासिल हुए. सूत्रों का दावा है कि भाजपा इस बार भी यही समीकरण सैट करने वाली है. गैर जाट वोटरों को पक्का करने के लिए भाजपा ने सीएम की कुर्सी पर नायब सिंह सैनी को बैठाया है. भाजपा को उम्मीद है उनके इस दाव से हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों को जीता सकता है.