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जोरदार भाषण, मीडिया से सीधा सवाल-जवाब और बीजेपी पर सीधा हमला, मायावती से कैसे अलग हैं आकाश आनंद?

Akash Anand: बीएसपी के नेता अब मायावती के उत्तराधिकारी हैं. चुनावी रैली करने के साथ ही एक बहस छिड़ गई है जिसमें कहा जा रहा है कि वह सही उत्तराधिकारी साबित होंगे या नहीं.

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Edited By: India Daily Live
Akash Anand
Courtesy: Akash Anand Twitter Handle

बहुजन समाज पार्टी इन दिनों अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. एक समय पर उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज रही BSP के पास उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ एक विधायक है. संकट के इस समय में BSP की कमान नए नवेले आकाश आनंद के हाथों में आ गई है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद अब घोषित रूप से उनके उत्तराधिकारी बन गए हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी BSP के प्रचार अभियान की अगुवाई वही कर रहे हैं. अपने पहले ही भाषण से आकाश आनंद ने सबको प्रभावित भी किया है और पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को एक नई उम्मीद दे दी है.

अब BSP के नेशनल कोऑर्डिनेटर बन चुके आकाश आनंद पढ़े-लिखे नेता हैं. मायावती के भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश का जन्म साल 1995 में नोएडा में हुआ था. नोएडा और गुरुग्राम से स्कूली शिक्षा के बाद वह लंदन गए. आकाश ने लंदन की यूनिवर्सिटी ऑफ प्लाईमाउथ से MBA की पढ़ाई पूरी की. लंदन से लौटने के बाद कुछ समय तक कॉरपोरेट की दुनिया में सक्रिय रहे आकाश आनंद 2016 से राजनीति में आ चुके हैं.

मायावती से अलग कैसे हैं आकाश आनंद?

एक समय पर प्रखर नेता रहीं मायावती बीते कुछ सालों में खुद को बेहद रिजर्व रखने लगी हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी वह लिखे गए नोट से पढ़ती हैं और चुनावी सभाओं में भी वह लिखा हुआ भाषण ही पढ़ती हैं. मायावती इंटरव्यू भी नहीं देती हैं. राजनीति के जानकारों का मानना है कि मायावती खुद को नए जमाने की राजनीति के हिसाब से ढाल नहीं पाई हैं. यहां तक कि BSP के सोशल मीडिया अकाउंट भी तब ऐक्टिव हुए जब आकाश आनंद ने कमान संभाल ली.

दमदार भाषण, सीधा हमला

वहीं, आकाश आनंद आक्रामक अंदाज में भाषण दे रहे हैं. मीडिया के सवालों का जवाब भी खुलकर दे रहे हैं. बीते कुछ सालों में जहां मायावती सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलने से बचती रही हैं, वहीं आकाश आनंद अपने पहले ही भाषण में बीजेपी पर हमलावर नजर आए. इतना ही नहीं उन्होंने सीधे तौर पर पीएम मोदी और सीएम योगी पर भी हमला बोला है.

बसपा के समर्थकों में भी आकाश आनंद के सक्रिय होने से जोश आ गया है. हालांकि, अब देखने वाली बात यह होगी कि वह अपनी बुआ मायावती की तरह सम्मान पाने के बाद इसे वोटों में बदल पाते हैं या नहीं.