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कैसे बीजेपी नहीं कांग्रेस से हार गई AAP! 13 सीटों पर जीत के अंतर से हुआ साफ

13 सीटों पर कांग्रेस को बीजेपी की जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले. आम आदमी पार्टी के मनीष सिसौदिया, सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती और दुर्गेश पाठक भी इससे प्रभावित हुए हैं.

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Edited By: Gyanendra Sharma
AAP
Courtesy: Social Media
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अरविंद केजरीवाल से लेकर आम आदमी पार्टी के कई दिग्गज नेता दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिले वोटों के अंतर से भी कम अंतर से हारे. अगर केजरीवाल नई दिल्ली से हार गए , तो मनीष सिसोदिया जंगपुरा से हार गए , सौरभ भारद्वाज ग्रेटर कैलाश से , सोमनाथ भारती मालवीय नगर से और दुर्गेश पाठक राजिंदर नगर से हार गए, ये सभी सीटें ऐसी थीं जहां कांग्रेस को बीजेपी के जीत के अंतर से ज़्यादा वोट मिले , जिससे नतीजे प्रभावित हुए. कुल मिलाकर 70 में से 13 ऐसी सीटें थीं.

भाजपा के प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल को 4,089 वोटों से हराया. आप प्रमुख 2013 से तीन बार इस सीट से जीते हैं. कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित को नई दिल्ली सीट पर 4,568 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. 2013 में केजरीवाल ने दीक्षित की मां शीला दीक्षित को हराकर उनका सीएम के तौर पर शासन खत्म किया था. दो बार सांसद रहे वर्मा, जो 2013 में महरौली सीट जीतने के बाद कुछ समय के लिए विधायक भी रहे, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री तथा भाजपा के दिवंगत साहिब सिंह वर्मा के पुत्र भी हैं.

सिसोदिया को भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह ने मात्र 675 वोटों से हराया

जंगपुरा में पूर्व डिप्टी सीएम सिसोदिया को भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह ने मात्र 675 वोटों से हराया. यहां कांग्रेस उम्मीदवार फरहाद सूरी को 7,350 वोट मिले. पटपड़गंज से तीन बार विधायक रह चुके सिसोदिया को आप ने जंगपुरा से इसलिए मैदान में उतारा क्योंकि पटपड़गंज को आप के लिए मुश्किल सीट माना जा रहा था.

कई सीटों पर हो गया खेला

ग्रेटर कैलाश में आप के भारद्वाज दो बार पार्षद रहीं भाजपा की शिखा रॉय से 3,188 वोटों से हार गए. यहां कांग्रेस के उम्मीदवार गर्वित सिंघवी को 6,711 वोट मिले. तीन बार विधायक रह चुके भारद्वाज केजरीवाल के अधीन गृह, स्वास्थ्य, बिजली और शहरी विकास मंत्रालयों के साथ कैबिनेट मंत्री भी थे और उनके जीतने की पूरी उम्मीद थी. मालवीय नगर में, AAP के एक अन्य लोकप्रिय उम्मीदवार, सोमनाथ भारती, भाजपा के पूर्व पार्षद, सतीश उपाध्याय से 2,131 वोटों से हार गए. कांग्रेस उम्मीदवार जितेंद्र कुमार कोचर को 6,770 वोट मिले. सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत करने वाले भारती 2013 से मालवीय नगर से विधायक थे.

डिप्टी स्पीकर राखी बिड़ला एक और प्रमुख आप नेता थीं, जो कांग्रेस द्वारा जीत के अंतर से ज़्यादा वोट हासिल करने के बाद हार गईं. मंगोलपुरी से तीन बार विधायक रहीं बिड़ला को इस बार एससी-आरक्षित मादीपुर से मैदान में उतारा गया था. वह भाजपा के कैलाश गंगवाल से 10,899 वोटों से हार गईं, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार जेपी पंवार को 17,958 वोट मिले.

344 वोटों से हारे संगम विहार की सीट

राजिंदर नगर में दुर्गेश पाठक भाजपा के उमंग बजाज से 1,231 वोटों से हार गए. कांग्रेस उम्मीदवार विनीत यादव को यहां 4,015 वोट मिले. आप की राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य पाठक ने पहली बार 2022 के उपचुनाव में यह सीट जीती थी, जब पार्टी विधायक राघव चड्ढा को राज्यसभा के लिए नामित किया गया था. संगम विहार से आप विधायक दिनेश मोहनिया भाजपा के चंदन कुमार चौधरी से मात्र 344 वोटों से हारे, जो सबसे कम अंतर में से एक है. कांग्रेस के हर्ष चौधरी को 15,863 वोट मिले. तीन बार विधायक रह चुके मोहनिया को 2016 में यौन उत्पीड़न के एक मामले में जेल जाना पड़ा था, लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया. अन्य सीटें जहां AAP उम्मीदवार इसी तरह हार गए, वे बादली, छतरपुर, महरौली, नांगलोई जाट, तिमारपुर और त्रिलोकपुरी हैं.

इन नतीजों से इंडिया ब्लॉक में बेचैनी और बढ़ गई है क्योंकि इसके कई सदस्यों ने आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन का समर्थन किया था, साथ ही तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी आप उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया था. कांग्रेस ने भले ही कागजों पर कम से कम 13 सीटों पर आप की संभावनाओं को खराब किया हो, लेकिन वह लगातार तीसरी बार एक भी सीट जीतने में विफल रही और 2020 के मुकाबले उसके कुल वोट शेयर में मामूली वृद्धि ही देखी गई.