Amit Shah: गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वकील सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा कानूनों में किये गए बदलाव के बारे में बताया.
उन्होंने कहा कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में 3 नए कानून आ रहे हैं और ये सभी कानून 160 साल बाद पूरी तरह से नए दृष्टिकोण और नई व्यवस्था के साथ आ रहे हैं.
शाह ने कहा कि पिछले 9 सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने कई कानूनों में बदलाव किया. उन्होंने कहा कि आर्बिट्रेशन लॉ, मीडियेशन लॉ और जन विश्वास बिल इन तीनों कानूनों ने एक तरह से न्यायपालिका पर बोझ कम करने का काम किया है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने जन विश्वास बिल में 300 कोड को खत्म कर सिविल लॉ में बदलाव लाने का काम किया है.
केंद्रीय कानून मंत्री शाह ने कहा कि न्याय ही है जो बैलेंस बनाकर रखता है और संविधान के निर्माताओं ने इसे अलग रखने का सोच समझकर निर्णय लिया.
उन्होंने कहा कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड ने हमारे बदलते हुए अर्थतंत्र को विश्व के साथ खड़ा करने का काम किया है.
'कोई भी कानून अपने अंतिम रूप में नहीं होता'
उन्होंने कहा कि जीएसटी हो या इनसॉल्वेंसी एक्ट, इनमें जो बदलाव हो रहे हैं वे इनके इम्प्लीमेंटेशन में आने वाली दिक्कतों के कारण किये जा रहे हैं. गृह मंत्री ने कहा कि कोई भी कानून अपने अंतिम रूप में नहीं होता. समय के हिसाब से उसके इम्प्लीमेंटशन में आ रही दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए उसमें बदलाव किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कानून बनाने का उद्देश्य एक सुचारू व्यवस्था खड़ी कहना है ना कि कानून बनाने वालों की सुप्रीमेसी स्थापित करना. इसलिए इन कानूनों में जो भी बदलाव किये जा रहे हैं वो इन कानूनों को आज के हिसाब से प्रासंगिक बना रहें हैं.
गृह मंत्री ने कहा कि पुराने कानूनों का मूल उद्देश्य अंग्रेजी शासन को मजबूत बनाना था. उनका उद्देश्य न्याय देने के बजाय दंड देने का था. जबकि इन तीनों कानूनों का उद्देश्य दंड नहीं न्याय देना है. यहां दंड न्याय देने का एक चरण है. अमित शाह ने कहा कि न्याय के लिए हर प्रकार की शक्ति का संतुलन होना जरूरी है.
संतुलित शक्ति के परिवेश में ही न्यापूर्ण समाज की रचना हो सकती है. शक्ति के बिना न्याय शक्तिविहीन होता है और न्याय के बिना शक्ति अत्याचारी हो जाती है.
'तीनों नए क्रिमिनल कानूनों में मिलेगी भारतीय मिट्टी की महक'
अमित शाह ने कहा कि भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर औपनिवेशिक कानून की छाप थी, लेकिन तीनों नए कानूनों में औपनिवेशिक छाप नहीं बल्कि भारत की मिट्टी की महक है. इन तीनों कानूनों के केंद्र बिंदू में नागरिकों के संवैधानिक व मानवाधिकारियों के साथ-साथ उनकी स्वंय की रक्षा करना है.
गृह मंत्री ने कहा कि नई पहल के साथ कानून के अनुकूल वातावरण बनाने के लिए भी सरकार की ओर से तीन पहल की गई हैं. पहली ई-कोर्ट, दूसरी ICJS और तीसरा इन कानूनों में तकनीक को जोड़ना. इन तीनों व्यवस्थाओं के आने से हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में जो देरी होती है, उसे हम एक दशक से भी कम समय में दूर कर पाएंगे.
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