SEBI Notice To Hindenburg: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोप लगाने का सिलसिला जारी है.पिछले साल अडानी समूह पर अलग-अलग दावों के बाद हिंडनबर्ग ने कोटक महिंद्रा बैंक को लपेट लिया है. हिंडनबर्ग का दावा है कि बिलेनियर बैंकर उदय कोटक ने बैंक के अलावा ब्रोकरेज कंपनी की स्थापना की. इसके बाद उन्होंने एक अज्ञात निवेशक द्वारा इस्तेमाल किए गए विदेशी फंड की देखरेख की. हिंडनबर्ग ने इस फंड का प्रयोग अडानी समूह में शेयरों में गिरावट से लाभ उठाने में किया. इस दावे पर कोटक महिंद्रा बैंक ने भी अपनी सफाई दी है. कोटक का कहना है कि कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल लिमिटेड ( KMIL ) का क्लाइंट नहीं रहा है. हिंडनबर्ग के आरोपों के बीच कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर भी क्रैश हो गए
इस बीच अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग को सेबी की ओर 46 पेज का कारण बताओ नोटिस भेजा गया है. सेबी ने यह नोटिस पिछले साल हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जारी अडानी समूह पर रिपोर्ट को लेकर भेजा है. हिंडनबर्ग ने कहा कि सेबी से उसे एक ई मेल मिला है, इसमें पिछले साल अडानी समूह के खिलाफ उसके शॉर्ट बेट पर संदिग्ध उल्लंघनों का जिक्र किया गया है.
फर्म ने आगे कहा कि हमारी रिपोर्ट के बाद, हमें कहा गया कि सेबी ने पर्दे के पीछे ब्रोकर्स पर अडानी के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन को बंद करने का दबाव डाला गया. इससे खरीददारी का दवाब बना और अडानी ग्रुप के शेयरों को मदद मिली. अमेरिकी फर्म ने यह भी कहा कि उसने अडानी शॉर्ट्स से गेन के जरिए 4.1 मिलियन डॉलर का ग्रॉस रेवेन्यू अर्जित किया. इसके अलावा अडानी के यूएस बॉन्ड की अपनी शॉर्ट पोजीशन के जरिए 31,000 डॉलर कमाए.
सेबी के नोटिस के बाद पिछले साल शुरू हुई इस कहानी में एक नया मोड़ आ गया है. हिंडनबर्ग ने अडानी पर अनुचित लेन-देने का आरोप लगाया था. इसके बाद अडानी समूह के मार्केट कैप में 150 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. हालांकि अडानी समूह अब उस झटके से उबर चुका है.
रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग ने कहा कि वह एक आरटीआई दायर करेगा. इसमें सेबी के उन कर्मचारियों के नाम मांगे जाएंगे जो अडानी और हिंडनबर्ग मामलों पर काम में लगे थे. इसके अलावा सेबी और अडानी के विभिन्न प्रतिनिधियों से जुड़े विवरण भी मांगे जाएंगे.