Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सोमवार को एक प्रस्ताव पास किया गया जिसमें केंद्र सरकार से राज्य में भारी बारिश से हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की गई.
प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सरकार ने 18 अगस्त को पूरे राज्य को आपदा की चपेट वाला राज्य घोसित किया है. उन्होंने कहा कि मैं केंद्र सरकार से इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और राज्य को एक विशेष राहत पैकेज जारी करने की अपील करता हूं क्योंकि बिना उदार सहायता के राज्य में राहत व बहाली संभव नहीं है.
उन्होंने कहा कि इस आपदा की तीव्रता 2001 में भुज में आए भूकंप और 2013 में केदारनाथ में आई आपदा और 2022 में जोशिमठ में हुए भूमि धंसाव के समान है. हम सरकार से समान राहत पैकेज की उम्मीद करते हैं.
प्रस्ताव पेश करते हुए सीएम सुक्खू ने कहा कि यह विनाश अभूतपूर्व था लेकिन राज्य सरकार ने साहस के साथ इस चुनौती का सामना किया और पानी और बिजली सप्लाई, सड़कों को खोलने, दूरगामी इलाकों फंसे हुए लोगों को बचाने और उन्हें राहत पहुंचाने जैसी सेवाओं को बहाल किया.
सोमवार को राज्य विधानसभा का आठ दिवसीय मानसून सत्र बेहद हंगामेदार तरीके से शुरू हुआ. विपक्षी बीजेपी की राज्य में आई मानसून आपदा पर तत्काल चर्चा को अध्यक्ष ने खारिज कर दिया जिसके बाद बीजेपी ने सदन से वॉकआउट कर दिया.
नियम 67 के तहत लाए गए बीजेपी के सदस्यों के प्रस्ताव को खारिज करते हुए स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि नियम 102 के तहत पहले ही बारिश के कारण हुए नुकसान पर चर्चा के लिए उन्हें नोटिस मिल चुका है.
इस बीच विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने में विफल रहने और और राहत वितरण सामग्री में भेदभाव करने का आरोप लगाया.
सीएम सुक्खू के इस दावे पर कि केंद्र ने उनकी मदद नहीं की, तंज कसते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्र लगातार राज्य की मदद कर रहा है. अगर सब कुछ केंद्र द्वारा ही किया जाना है तो राज्य सरकार का क्या काम है?
वहीं सीएम सुक्खू ने कहा कि भारी बारिश के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ, जिससे मानव जीवन की हानि के अलावा सड़कों, पुलों, पेयजल और सिंचाई योजनाओं, बिजली परियोजनाओं और निजी और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ.
सीएम ने कहा कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नुकसान को जोड़ दिया जाए तो प्रदेश को इस भारी बारिश से 12000 करोड़ का नुकसान हुआ है.
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