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नौकरी सरकारी लेकिन सैलरी ही नहीं आई, क्या 'कंगाल' होने वाला है हिमाचल प्रदेश? समझिए पूरी बात

Himachal Salary Crisis: नए महीने की 3 तारीख हो जाने के बावजूद हिमाचल प्रदेश के सरकार कर्मचारियों की सैलरी नहीं आई है. इसका नतीजा यह हुआ है कि कर्मचारी परेशान है. वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि वह विधानसभा में यह बताने को तैयार हैं कि राज्य में वित्तीय कुप्रबंधन कैसे हुआ.

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Edited By: India Daily Live
Himachal Pradesh Salary Crisis
Courtesy: IDL

पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश इन दिनों आर्थिक संकट से गुजर रहा है. कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी कैबिनेट ने ऐलान किया था कि वे अगले दो महीनों तक सैलरी नहीं लेंगे. अब राज्य के सरकारी कर्मचारियों को अगस्त महीने की सैलरी न मिलने से हड़कंप मच गया है. लोग डरे हुए हैं कि आखिर उनकी सैलरी का क्या होगा. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर राज्य की कांग्रेस सरकार को घेर रहे हैं. इस पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि वह राज्य के आर्थिक हालात को लेकर सदन में चर्चा करने को तैयार हैं. चर्चाएं हैं कि राज्य के कर्मचारियों की सैलरी 10 सितंबर तक आ सकती है.

रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार की ओर से राजस्व घाटा अनुदान के तहत 490 करोड़ रुपये हिमाचल प्रदेश को मिलने हैं. ये पैसे मिलने के बाद ही कर्मचारियों की सैलरी और पूर्व कर्मचारियों की पेंशन जारी कई जाएगी. सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने फैसला लिया था कि मुख्यमंत्री खुद, उनकी कैबिनेट के मंत्री, संसदीय सचिव, कैबिनेट का दर्जा प्राप्त सलाहकार जैसे पदाधिकारी अगले दो महीने तक अपनी सैलरी और भत्ते नहीं लेंगे. ये अपनी सैलरी दो महीने की देरी से लेंगे.

कांग्रेस सरकार पर बरसी BJP

इस बारे में नेता विपक्ष और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर का कहना है, 'मेरी याद्दाश्त में तो यह परिस्थिति पहली बार आई है कि 3 तारीख हो गई और कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिल पाई और पेंशनर्स को पेंशन नहीं मिल पाई. हमें समझ लेना चाहिए कि हिमाचल प्रदेश बहुत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. सीएम कभी कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश आर्थिक संकट से गुजर रहा है, कभी कहते हैं कि संकट नहीं है, 2027 तक हिमाचल देश का सबसे समृद्ध राज्य बनेगा. हास्यास्पद स्थिति है. हमने विधानसभा में चर्चा का नोटिस दिया है.'

विपक्ष के आरोपों पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है, 'हमने तो बोला कि जयराम ठाकुर को आना चाहिए न चर्चा के लिए. राज्य के वित्तीय कुप्रबंधन पर हम चर्चा करना चाहते हैं. किसी भी नियम के तहत चर्चा करें. हम जनता को बताना चाहते हैं कि वित्तीय कुप्रबंधन क्यों हुआ और कैसे डबल इंजन की सरकार ने जनता के खजाने को लुटा दिया. बिजली माफ कर दी, पानी माफ कर दिया, 600 के करीब शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े संस्थान खोल दिए. हम जनता को जागरूक करना चाहते हैं कि कोई नीतिगत फैसले न होने पर उस पर क्या प्रभाव पड़ता है.'

क्यों संकट में आया हिमाचल प्रदेश?

दरअसल, हिमाचल प्रदेश पर कुल कर्ज लगभग 86 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है. बीते कुछ सालों में हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं ने जमकर तबाही मचाई है जिससे राज्य की संपत्ति को भी खूब नुकसान हुआ है. राज्य में सैलरी और पेंशन पर खूब खर्च होता है. उदाहरण के लिए लिए 58,444 करोड़ के बजट में 42 हजार करोड़ सालाना इसी में खर्च होते हैं. इसके बावजूद सरकार पर सैलरी और पेंशन के 10 हजार से ज्यादा करोड़ रुपये बकाया हैं. वहीं, हिमाचल प्रदेश में प्रति नागरिक औसत कर्ज अब 1.19 लाख रुपये है जो कि अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर है.

इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश की सरकार ने 300 यूनिट बिजली फ्री कर दी है. महिलाओं को 1500 रुपये महीने दिए जाने हैं. रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट कम हो गई. साथ ही, जीएसटी रीइंबर्समेंट बंद हो चुका है.