पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश इन दिनों आर्थिक संकट से गुजर रहा है. कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी कैबिनेट ने ऐलान किया था कि वे अगले दो महीनों तक सैलरी नहीं लेंगे. अब राज्य के सरकारी कर्मचारियों को अगस्त महीने की सैलरी न मिलने से हड़कंप मच गया है. लोग डरे हुए हैं कि आखिर उनकी सैलरी का क्या होगा. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर राज्य की कांग्रेस सरकार को घेर रहे हैं. इस पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि वह राज्य के आर्थिक हालात को लेकर सदन में चर्चा करने को तैयार हैं. चर्चाएं हैं कि राज्य के कर्मचारियों की सैलरी 10 सितंबर तक आ सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार की ओर से राजस्व घाटा अनुदान के तहत 490 करोड़ रुपये हिमाचल प्रदेश को मिलने हैं. ये पैसे मिलने के बाद ही कर्मचारियों की सैलरी और पूर्व कर्मचारियों की पेंशन जारी कई जाएगी. सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने फैसला लिया था कि मुख्यमंत्री खुद, उनकी कैबिनेट के मंत्री, संसदीय सचिव, कैबिनेट का दर्जा प्राप्त सलाहकार जैसे पदाधिकारी अगले दो महीने तक अपनी सैलरी और भत्ते नहीं लेंगे. ये अपनी सैलरी दो महीने की देरी से लेंगे.
#WATCH | Shimla: Leader of Opposition in Himachal Pradesh Assembly Jairam Thakur says, "It's now 3rd of September but the employees have not received their salaries. Pensions have not been received. This shows that Himachal Pradesh is going through a period of economic… pic.twitter.com/aD45JtNWYj
— ANI (@ANI) September 3, 2024
इस बारे में नेता विपक्ष और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर का कहना है, 'मेरी याद्दाश्त में तो यह परिस्थिति पहली बार आई है कि 3 तारीख हो गई और कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिल पाई और पेंशनर्स को पेंशन नहीं मिल पाई. हमें समझ लेना चाहिए कि हिमाचल प्रदेश बहुत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. सीएम कभी कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश आर्थिक संकट से गुजर रहा है, कभी कहते हैं कि संकट नहीं है, 2027 तक हिमाचल देश का सबसे समृद्ध राज्य बनेगा. हास्यास्पद स्थिति है. हमने विधानसभा में चर्चा का नोटिस दिया है.'
#WATCH | Shimla: Himachal Pradesh Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu says, "There should be a discussion on financial mismanagement in the state...We want to explain how the financial mismanagement in the state happened. How did the double-engine government of the BJP loot the… pic.twitter.com/hHcdM67UN3
— ANI (@ANI) September 3, 2024
विपक्ष के आरोपों पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है, 'हमने तो बोला कि जयराम ठाकुर को आना चाहिए न चर्चा के लिए. राज्य के वित्तीय कुप्रबंधन पर हम चर्चा करना चाहते हैं. किसी भी नियम के तहत चर्चा करें. हम जनता को बताना चाहते हैं कि वित्तीय कुप्रबंधन क्यों हुआ और कैसे डबल इंजन की सरकार ने जनता के खजाने को लुटा दिया. बिजली माफ कर दी, पानी माफ कर दिया, 600 के करीब शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े संस्थान खोल दिए. हम जनता को जागरूक करना चाहते हैं कि कोई नीतिगत फैसले न होने पर उस पर क्या प्रभाव पड़ता है.'
दरअसल, हिमाचल प्रदेश पर कुल कर्ज लगभग 86 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है. बीते कुछ सालों में हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं ने जमकर तबाही मचाई है जिससे राज्य की संपत्ति को भी खूब नुकसान हुआ है. राज्य में सैलरी और पेंशन पर खूब खर्च होता है. उदाहरण के लिए लिए 58,444 करोड़ के बजट में 42 हजार करोड़ सालाना इसी में खर्च होते हैं. इसके बावजूद सरकार पर सैलरी और पेंशन के 10 हजार से ज्यादा करोड़ रुपये बकाया हैं. वहीं, हिमाचल प्रदेश में प्रति नागरिक औसत कर्ज अब 1.19 लाख रुपये है जो कि अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर है.
इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश की सरकार ने 300 यूनिट बिजली फ्री कर दी है. महिलाओं को 1500 रुपये महीने दिए जाने हैं. रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट कम हो गई. साथ ही, जीएसटी रीइंबर्समेंट बंद हो चुका है.