Himachal Congress Crisis: हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट अभी खत्म नहीं हुआ है. गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में मौजूद विक्रमादित्य सिंह करीब साढ़े छह बजे बैठक छोड़कर चले गए थे. इसके बाद वो पंचकूला में 6 बागी विधायकों से मिले हैं. सूत्रों का कहना है कि विक्रमादित्य सिंह चंडीगढ़ गए और छह अयोग्य विधायकों से मुलाकात की. इस खबर के सामने आने के बाद एक बार फिर से सवालिया निशान उठने लगा है कि क्या राज्य में सब कुछ ठीक है?
सीएम सुक्खू और राज्य के पर्यवेक्षक के तौर पर भेजे गए डीके शिवकुमार भले ही कह रहे हैं कि संकट खत्म हो गया है, लेकिन सामने आए नए अपडेट के बाद लग रहा है कि अभी प्रदेश कांग्रेस के अंदर सब ठीक नहीं है.
सुक्खू सरकार बुधवार को संकट में आ गई. जब हिमाचल की एक सीट पर राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. हार के बाद बीजेपी ने कहा कि सरकार अल्पमत में है. कांग्रेस के 6 विधायकों ने बगावत किया और क्रॉस वोटिंग की. जब सुक्खू सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे तब से कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुटी है. हाईकमान ने डीके शिवकुमार को भेजा.
डीके शिवकुमार ने गुरुवार को कहा कि हिमाचल में कांग्रेस सरकार है और सुक्खू सीएम हैं. सभी विधायक 5 साल तक कांग्रेस सरकार चाहते हैं. यहां कोई ऑपरेशन लोटस नहीं है. सभी ने अपने मतभेद सुलझा लिए हैं. अब सब मिलकर काम करेंगे. हालांकि कांग्रेस पर्यवेक्षक ने कह तो दिया कि 'सब ठीक है', लेकिन उनके इस बयान में कितनी सच्चाई है ये वक्त ही बताएगा. विक्रमादित्य सिंह के हावभाव कई सवाल खड़े कर रहे हैं.
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की 68 सीटें हैं. कांग्रेस के पास 40 और बीजेपी के पास 25 विधायक हैं. राज्यसभा सांसद को जितने के लिए 35 वोटों की जरुरत थी, लेकिन 6 कांग्रेस के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर पासा पलट दिया. बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन जीत गए. हर्ष महाजन को 34 वोट मिले.