जहां BJP ने चलाया था 'ऑपरेशन लोटस', वहीं गंवा दी सारी सीटें, कैसे हो गया खेल?
Himachal Pradesh By Election: लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा ने एक राज्य में 'ऑपरेशन लोटस' चलाया था. यहां सत्ता में काबिज पार्टी के 6 विधायकों ने बगावत कर दी थी. अब उन 6 सीटों पर हुए उपचुनाव में चार बागियों की हार हुई है.

Himachal Pradesh By Election: लोकसभा चुनाव के लिए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हिमाचल पहुंचे थे, तब उन्होंने 4 जून को राज्य में सरकार बनानेका दावा किया था. इससे पहले से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी हिमाचल में जल्द ही सरकार बदलने का दावा कर रहे थे, लेकिन जब नतीजे आए तो भाजपा के लिए सब कुछ धरा का धरा रह गया. हालांकि, भाजपा को राज्य की चारों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई है.
दरअसल, हिमाचल में कुछ महीने पहले 'ऑपरेशन लोटस' चलाए जाने का दावा किया गया था. दावा किया गया था कि भाजपा ने हिमाचल प्रदेश की सुजानपुर, गगरेट, कुटलैहाड़ और लाहौल स्पीति विधानसभा सीट पर 'ऑपरेशन लोटस' चलाया था. इससे प्रभावित होकर चारों सीटों के तत्कालीन विधायकों (सभी कांग्रेस) ने अपनी ही पार्टी बगावत कर दी थी. बगावत के बाद स्पीकर की ओर से चारों विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया गया. फिर इन चारों सीटों पर उपचुनाव हुए.
4 जून को देश की 542 लोकसभा सीटों के साथ-साथ हिमाचल की चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी सामने आए, जहां बगावत करने वाले चारों विधायकों को हार का सामना करना पड़ा. मतलब जिन चार विधायकों को हिमाचल की जनता ने 15 महीने पहले चुनकर विधानसभा में भेजा था, उन्हें घर बैठने पर मजबूर कर दिया. चारों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई है.
कहा जा रहा है कि राज्य में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर मंडरा रहा खतरा अब टल गया है. राज्य में अभी तीन और सीटों पर उपचुनाव कराए जाने हैं, जिसकी तैयारी कांग्रेस ने तेज कर दी है.
आखिर पूरा मामला क्या है?
दरअसल, 2022 में हुए चुनाव में कुटलैहड़ से कांग्रेस के प्रत्याशी देवेंद्र कुमार भुट्टो, गगरेट से चैतन्य शर्मा, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर, सुजानपुर में राजेंद्र राणा, बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल, धर्मशाला से सुधीर शर्मा विधायक चुने गए थे. इसी साल हुए राज्यसभा चुनाव में इन छह विधायकों ने कांग्रेस प्रत्याशी को वोट न कर क्रॉस वोटिंग की और भाजपा के उम्मीदवार को जीता दिया. कांग्रेस ने सुक्खू सरकार गिराने का सभी छह विधायकों पर आरोप लगाया और पार्टी व्हिप के उल्लंघन के लिए इन विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया. जब कुछ महीने बाद छह विधायकों की सीटों पर उपचुनाव हुए, तो उनमें से चार को हार का सामना करना पड़ा, जबकि दो विधायकों इंद्रदत्त लखनपाल और सुधीर शर्मा को जीत हासिल हुई.
हिमाचल विधानसभा में अब क्या है विधायकों की स्थिति?
68 विधायकों वाली हिमाचल विधानसभा में एक दिन पहले 6 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजें सामने आए. अब इन विधायकों के शपथ लेते ही सदन की संख्या 65 हो जाएगी. तीन अन्य सीटों (नालागढ़, देहरा और हमीरपुर) पर विधानसभा उपचुनाव होना है.
68 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 35 विधायक चाहिए. कांग्रेस की तीन विधायकों के उपचुनाव जीतने के बाद सदन में उनकी संख्या 38 हो जाएगी. अगर कांग्रेस आने वाले समय में तीन सीटों पर होने वाले उपचुनाव को जीत जाती है, तो सदन में उनकी संख्या 41 हो जाएगी, जो बहुमत से 8 ज्यादा है. 17 महीने पहले जब राज्य में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब कांग्रेस को 40 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
तीन अन्य सीटों पर क्यों होना है उपचुनाव?
दरअसल, जिन तीन सीटों पर उपचुनाव होना है, उन सीटों पर निर्दलीय विधायकों (नालागढ़ से केएल ठाकुर, देहरा से होशियार सिंह और हमीरपुर से आशीष शर्) ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा देकर दिल्ली में 23 मार्च को भाजपा ज्वाइन कर लिया था. हालांकि, स्पीकर ने इन तीनों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था, लिहाजा चार सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के साथ इनकी सीटों पर उपचुनाव नहीं कराए गए.
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