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SC, ST के खिलाफ अत्याचार के मामले में यूपी और एमपी टॉप पर, इन 13 राज्यों में सामने आए 97% मामले

इस रिपोर्ट में सबसे चिंतित तथ्य ये है कि इन मामलों के दोषियों को सजा मिलने की दर में गिरावट आई है. 2022 में सजा की दर 2020 में 39.2 प्रतिशत के मुकाबले 32.4 प्रतिशत रही.

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Edited By: India Daily Live
Atrocities Registered Against SCs, STs
Courtesy: freepik

Atrocities Registered Against SCs, STs:  साल 2022 में अनुसूचित जाति के खिलाफ हुए अत्याचार के दर्ज कुल मामलों में से 97.7 प्रतिशत मामले 13 राज्यों से दर्ज हुए जिनमें से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मामले दर्ज हुए. सरकार द्वारा जारी की गई ताजा रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है. इसके अलावा साल 2022 में ही अनुसूचित जनजाति  (STs) के खिलाफ अत्याचार के 98.91 प्रतिशत मामले भी अकेले 13 राज्यों से ही सामने आए.

अनुसूचित जाति के खिलाफ अत्याचार में यूपी शीर्ष पर

अनुसूचित जाति के लिए कानून के तहत 2022 में कुल 51,656 केस दर्ज हुए जिनमें से सबसे अधिक केस उत्तर प्रदेश में 23.78 प्रतिशत (12,287), इसके बाद राजस्थान में 16.75 प्रतिशत (8,651), मध्य प्रदेश में 14.97 प्रतिशत (7,732) केस दर्ज हुए. इसके अलावा बिहार में 13.16 प्रतिशत (6,799), ओडिशा में 6.93 प्रतिशत (3,576), महाराष्ट्र में 5.24 प्रतिशत (2,706) केस दर्ज हुए. इन 6 राज्यों में ही कुल केस के 81 प्रतिशत मामले दर्ज हुए.

अनुसूचित जनजाति के खिलाफ क्राइम में एमपी शीर्ष पर
रिपोर्ट के मुताबिक, अनुसूचित जनजाति के लिए कानून के तहत कुल 9,735 केस दर्ज हुए जिनमें सबसे अधिक 2,979 (30.61 प्रतिशत) केस केवल मध्य प्रदेश में, 2,498 (25.66 प्रतिशत) केस राजस्थान में, 773 (7.94 प्रतिशत) केस ओडिशा में, 691 (7.10 प्रतिशत) केस महाराष्ट्र और 499 (5.13 प्रतिशत) केस आंध्र प्रदेश में दर्ज हुए. इसके अलावा इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दर्ज मामलों पर कानून के तहत क्या कार्रवाई हुई.

कितने मामलों में हुई कार्रवाई

रिपोर्ट कहती है कि अनुसूचित जाति से जुड़े मामलों में 60.38 प्रतिशत मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई, जबकि 14,78 प्रतिशत सबूतों की कमी या झूठे दावों के बाद अंतिम रिपोर्ट के साथ समाप्त कर दिए गए. वहीं 2022 के अंत तक 17.166 मामलों की जांच लंबित थी. अनुसूचित जनजाति के मामले में 63.32 प्रतिशत मामले में आरोप पत्र दाखिल किए गए, 14.71 प्रतिशत मामले अंतिम रिपोर्ट के साथ समाप्त हुए. वहीं 2,702 मामलों की अभी भी जांच जारी है.

सजा की दर में आई गिरावट
इस रिपोर्ट में सबसे चिंतित तथ्य ये है कि इन मामलों के दोषियों को सजा मिलने की दर में गिरावट आई है. 2022 में सजा की दर 2020 में 39.2 प्रतिशत के मुकाबले 32.4 प्रतिशत रही.

इसके अलावा रिपोर्ट में इन मामलों की सुनवाई के लिए राज्यों में विशेष अदालतों की कमी की भी बात कही गई है. 14 राज्यों के 498 जिलों में से केवल 194 जिलों ने ही इन मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए विशेष अदालतें स्थापित कीं.

रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश जहां अनुसूचित जाति के खिलाफ अत्याचार के सबसे अधिक मामले दर्ज हुए, उस राज्य ने ऐसे एक भी जिले की पहचान नहीं की जहां अत्याचार होने की संभावना अधिक है.

रिपोर्ट इन जिलों में जाति-आधारित हिंसा की घटनाओं को रोकने और कमजोर समुदायों के लिए मजबूत सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर देती है.

एससी/एसटी सुरक्षा सेल स्थापित

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़,  दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और पुडुचेरी में एससी/एसटी सुरक्षा सेल स्थापित किए गए हैं.