छिप कर बैठे दुश्मनों का भी होगा खात्मा, ऐसी घातक एंटी-शिप मिसाइल पर काम कर रही इंडियन नेवी

भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी तकनीक से विकसित नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल शॉर्ट रेंज (NASM-SR) के उड़ान परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. 50 किलोमीटर से अधिक की रेंज के साथ यह मिसाइल भारत की समुद्री हमले की क्षमता को मजबूत करती है और आयातित हथियारों पर निर्भरता को कम करती है.

भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी तकनीक से विकसित नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल शॉर्ट रेंज (NASM-SR) के उड़ान परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. यह परीक्षण 25 फरवरी 2025 को ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) में किया गया. इस दौरान मिसाइल को सीकिंग 42बी हेलीकॉप्टर से लॉन्च किया गया और इसने निर्धारित लक्ष्य को अचूक सटीकता के साथ भेद दिया. यह उपलब्धि न केवल भारत की रक्षा तकनीक में एक बड़ी छलांग है, बल्कि दुश्मन के छिपे ठिकानों को नष्ट करने की क्षमता को भी दर्शाती है.

तकनीकी सफलता का नया अध्याय
NASM-SR मिसाइल की सबसे खास बात इसका "मैन-इन-लूप" फीचर है, जो इसे उड़ान के दौरान मानव ऑपरेटर द्वारा नियंत्रित करने की सुविधा देता है. एक हाई-बैंडविड्थ टू-वे डेटा लिंक के जरिए मिसाइल के सीकर से लाइव इमेज पायलट तक पहुंचती हैं, जिससे वह जरूरत पड़ने पर लक्ष्य को बदल सकता है. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, मिसाइल को "बेयरिंग-ओनली लॉक-ऑन" मोड में लॉन्च किया गया था. इसमें मिसाइल ने पहले एक बड़े लक्ष्य पर निशाना साधा और फिर टर्मिनल चरण में पायलट ने छिपे हुए लक्ष्य को चुना, जिसे मिसाइल ने बिल्कुल सटीकता से नष्ट कर दिया. मंत्रालय के बयान में कहा गया, "मिसाइल ने खोज के निर्धारित क्षेत्र में एक बड़े लक्ष्य पर लॉक किया और अंतिम चरण में पायलट ने एक छोटे छिपे लक्ष्य को चुना जिसे अचूक निशाने से भेदा गया."

विदेशी मिसाइलों को अलविदा
NASM-SR को भारतीय नौसेना के सीकिंग हेलीकॉप्टरों पर इस्तेमाल होने वाली मौजूदा विदेशी एंटी-शिप मिसाइल को बदलने के लिए डिज़ाइन किया गया है. 50 किलोमीटर से अधिक की रेंज के साथ यह मिसाइल भारत की समुद्री हमले की क्षमता को मजबूत करती है और आयातित हथियारों पर निर्भरता को कम करती है. यह मिसाइल समुद्र की सतह के करीब उड़ान भरती है, जिसे "सी-स्किमिंग" मोड कहते हैं. इससे यह दुश्मन के रडार से बच निकलती है और हमले को और घातक बनाती है.

स्वदेशी तकनीक का कमाल
इस मिसाइल में कई उन्नत स्वदेशी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. टर्मिनल गाइडेंस के लिए इसमें इमेजिंग इंफ्रा-रेड सीकर लगाया गया है, जो लक्ष्य को सटीकता से ट्रैक करता है. मिड-कोर्स सुधार के लिए फाइबर ऑप्टिक जायरोस्कोप आधारित इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम और रेडियो अल्टीमीटर का उपयोग किया गया है. मिसाइल एक सॉलिड प्रोपल्शन सिस्टम से संचालित होती है, जिसमें एक इन-लाइन इजेक्टेबल बूस्टर और लंबे समय तक चलने वाला सस्टेनर शामिल है. रक्षा मंत्रालय ने इसके अत्याधुनिक घटकों पर प्रकाश डाला और कहा, "इसमें स्वदेशी फाइबर ऑप्टिक जायरोस्कोप आधारित नेविगेशन सिस्टम, इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स मॉड्यूल, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स, थर्मल बैटरी और प्रिंटेड सर्किट बोर्ड वॉरहेड जैसे उन्नत उपकरण हैं."

दुश्मनों के लिए खतरे की घंटी
यह मिसाइल न केवल बड़े जहाजों को निशाना बना सकती है, बल्कि छिपे हुए छोटे लक्ष्यों को भी नष्ट करने में सक्षम है. इसकी "मैन-इन-लूप" तकनीक इसे युद्ध के मैदान में बदलती परिस्थितियों के अनुकूल बनाती है. समुद्र में छिपे दुश्मनों के लिए यह एक बड़ा खतरा है, क्योंकि यह रडार से बचते हुए अचानक हमला कर सकती है. भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत और स्वदेशी तकनीक पर जोर इस मिसाइल को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है.

भविष्य की राह
NASM-SR का सफल परीक्षण भारत के आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है. यह मिसाइल नौसेना को नई ताकत देगी और विदेशी हथियारों पर निर्भरता को खत्म करने की दिशा में एक कदम है. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में इसकी रेंज और क्षमता को और बढ़ाया जा सकता है, जिससे यह लंबी दूरी के खतरों से भी निपट सके.