झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जेल से जमानत पर रहाई के बाद से राज्य की राजनीति में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना तेज हो गई है. सूत्रों के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में झारखंड के नए सीएम की ताजपोशी हो सकती है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या हेमंत सोरेन फिर से कुर्सी पर काबिज होंगे या पत्नी कल्पना को सौपेंगे सीएम की कुर्सी. क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में जाने से पहले कल्पना सत्ता की कमान संभाल सकती है.
मिली जानकारी के अनुसार, झारखंड की सत्ता पर नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है. अब चंपई सोरेन की जगह कल्पना या हेमंत खुद संभालेंगे सीएम की कमान. दरअसल बुधवार यानी आज झारखंड के रांची में आयोजित एक समारोह में करीब 1,500 से अधिक नवचयनित शिक्षकों को उनके नियुक्ति पत्र सौंपे जाने थे, जिसमें मुख्यमंत्री चंपई सोरेन मुख्य अतिथि थे लेकिन अंतिम समय में इस समारोह को रद्द कर दिया गया. जिसके बाद से राजनीति गलियारों में झारखंड कुर्सी परिवर्तन की खबरें तेज हो गई है.
सरकार के सूत्रों ने कहा, हेमंत सोरेन के पदभार संभालने की संभावना है क्योंकि जनता के बीच सोरेन की लोकप्रियता और उनके पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों को देखते हुए, उनके पुन: सत्ता में वापसी के आसार साफ नजर आ रहे हैं. ऐसा लगता है कि विधानसभा चुनावों में जाने से पहले हेमंत सोरेन पार्टी के साथ-साथ सरकार का कमान भी अपने हाथों में ले जाना चाहते हैं.
हेमंत को जमानत मिलना जेएमएम के लिए एक और बड़ी राहत है, क्योंकि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में जेएमएम ने पांच लोकसभा सीटों में जो कि राज्य की 14 सीटों में से है. उसमें तीन सीट पर जीत हासिल की थी. जो कि 20 सालों में उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन था. गठबंधन ने झारखंड की सभी पांच आदिवासी-आरक्षित सीटों पर भाजपा को बाहर रखने में भी कामयाबी हासिल की. जिसे हेमंत की गिरफ्तारी पर गुस्से के रूप में देखा गया था.
सूत्रों के मुताबिक हेमंत के जेल से आने के बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं को बहुत प्रोत्साहन मिला है. बता दें कि झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से 28 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें हैं. झामुमो का लक्ष्य इन 28 सीटों पर अधिक से अधिक जीत दर्ज करना है. हालांकि हेमंत को चंपई के खेमे से कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है, जो खुद एक वरिष्ठ नेता है और जिन्होंने जेएमएम में काफी समय बिताया है.
वहीं इस खबर पर भाजपा के नेताओं का कहना है कि झामुमो चंपई को हटाने के पीछे राजनीतिक कारणों के अलावा अन्य कारण भी हैं और पार्टी को इस बात की आशंका है कि उनके इर्द-गिर्द मौजूद एक गुट सरकारी कामों का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है. एक भाजपा नेता ने कहा कि झामुमों को शीर्ष नेतृत्व उन्हें पद पर बने रहने देने को लेकर असहज है.
वहीं हेंमत के खिलाफ ईडी के मामले में मिली जमानत से रिहा होने के बाद सत्तारूढ़ झामुमो के सूत्रों ने कहा कि चंपई ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे.