भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सांसद और झारखंड के गोड्डा से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के खिलाफ की गई टिप्पणियों ने सियासी और कानूनी तूफान खड़ा कर दिया है. दुबे के बयानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने की मांग उठी है, और इस मामले में अगले हफ्ते सुनवाई होने वाली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केस फाइल कीजिए,अनुमति की जरूरत नहीं है.
निशिकांत दुबे ने शनिवार, 19 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई संजीव खन्ना के खिलाफ तीखी टिप्पणियां की थीं. उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है, तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने सीजेआई खन्ना पर देश में "गृहयुद्ध" भड़काने का गंभीर आरोप लगाया. ये टिप्पणियां वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान आईं, जिसमें कोर्ट ने अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाए थे. केंद्र सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि अगली सुनवाई तक इन प्रावधानों को लागू नहीं किया जाएगा.
अवमानना याचिका और कोर्ट की प्रतिक्रिया
निशिकांत दुबे की इन टिप्पणियों को सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला मानते हुए, वक्फ मामले में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि को पत्र लिखकर अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी. तनवीर ने अपने पत्र में कहा कि दुबे के बयान अत्यंत अपमानजनक, भ्रामक और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम करने वाले" हैं, जो सामाजिक अशांति को भड़का सकते हैं. हालांकि, अटॉर्नी जनरल की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर बात हुई. जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील को स्पष्ट किया कि अवमानना याचिका दायर करने के लिए कोर्ट की अनुमति की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसके लिए अटॉर्नी जनरल की मंजूरी जरूरी है. मंगलवार को एक बार फिर इस मामले का उल्लेख हुआ, और कोर्ट ने अगले हफ्ते इसकी सुनवाई करने का फैसला किया. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से सोशल मीडिया पर दुबे के बयानों से संबंधित वीडियो हटाने का भी अनुरोध किया, क्योंकि इनके वायरल होने से कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां बढ़ रही हैं.