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सत्संग, जुलूस और रैली की कौन देता है परमिशन? क्या है पूरा प्रोसेस?

हाथरस सत्संग कांड में 121 लोग मारे गए. ये आयोजन सवालों के घेर में है. परमिशन किसने दी, जब अनुमति 80 हजार लोगों की थी तब इससे ज्यादा लोगों को कैसे सत्संग में आने दिया गया. ये बात समझ से परे है कि किसी कार्यकर्म में परमिशन से अधिक लोग कैसे पहुंच जाते हैं. इस तरह के आयोजनों की अनुमति कौन देता है, इसका प्रोसेस क्या होता है?

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Hathras stampede
Courtesy: Social Media

हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में  121 लोगों की जान चली गई. शवों का पोस्टमार्टम हाथरस, अलीगढ़, एटा और आगरा के अस्पतालों में रातभर होता रहा. इस मामले में सिकंदराराऊ थाने में दारोगा ने FIR दर्ज कराई है. मुख्य आरोपी आयोजक देव प्रकाश मधुकर को बनया गया है. FIR के मुताबिक, प्रशासन ने सत्संग के लिए 80 हजार लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन ढाई लाख लोग पहुंच गए थे. सवाल उठ रहे हैं कि जब परमिशन 80 हजार लोगों की थी तब इससे ज्यादा लोगों को कैसे सत्संग में आने दिया गया. वहां मौदूज सुरक्षाकर्मी क्या कर रहे थे? 

ये बात समझ से परे है कि किसी कार्यकर्म में परमिशन से अधिक लोग कैसे पहुंच जाते हैं. भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए प्रयाप्त पुलिस क्यों नहीं होती. अक्सर धार्मिक उत्सवों, मेलों, सत्संग, यज्ञ आदि के आयोजन में व्यवस्थागत खामियों के चलते भगदड़ मचने, दम घुटने, पंडाल वगैरह के गिरने से लोगों की मौत होती. इस तरह के आयोजनों की अनुमति कौन देता है, इसका प्रोसेस क्या होता है. 

धार्मिक सत्संग के लिए कौन देता है परमिशन?

किसी भी तरह के सत्संग या धार्मिक आयोजन की अनुमति पहले लेनी पड़ती है. जिस जिले में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन होता है पहले डीएम या एसडीएम से परिशमन जुरुरी होता है. साथ ही स्थानीय थाने में इसकी सूचना देनी पड़ती है. आयोजकों को सत्संग के आवेदन करना होता है. कुछ राज्यों और क्षेत्रों में धार्मिक सभाओं के लिए विशेष नियम होते हैं, जैसे विशेष अनुमति पत्र की आवश्यकता, विशेष स्थानों का चयन करना. अनुमति मिलने के बाद निर्धारित सभी नियमों और कानूनों का पालन करना होता है. 

आयोजक को ये सुनिश्चित करना होता है कि सत्संग स्थल में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था है. अगर बड़ा सत्संग है तो प्रशासन की सहायता लेना अनिवार्य है. मौके पर प्रयाप्त पुलिस और सुरक्षा गार्डों की तैनाती होनी चाहिए. सत्संग स्थल में अग्नि सुरक्षा के लिए उचित व्यवस्था भी जरुरी है. इसमें आग बुझाने वाले यंत्रों की उपलब्धता और आपातकालीन निकास योजना शामिल है. सत्संग या किसी भी धार्मिक सभा का आयोजन सार्वजनिक स्थानों पर किया जाता है, तो सार्वजनिक स्थानों के उपयोग की नियमों का भी पालन करना आवश्यक होता है. उचित परमिशन, साफ़-सुथरा माहौल, और जनसंख्या के अनुसार उपाय करना चाहिए.

जुलूस और रैली के अनुमति लेनी पड़ती है

शोभायात्रा, जुलूस और रैली के लिए परमिशन जरुरी है. कार्यक्रम के आयोजन से सात दिन पहले उसकी पूरी सूचना पुलिस अधीक्षक कार्यालय की सुरक्षा शाखा में देनी होती है. चुनावी रैलियों की अनुमति चुनाव आयोग देता है. राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों को चुनावी सभाओं, रैलियों, जुलूसों, लाउडस्पीकर औरा वाहनों के प्रयोग के साथ हवाइअड्डे और हेलीपैड आदि की अनुमति लेनी पड़ती है.