हाथरस के फुलरई गांव में मंगलवार को बड़ा हादसा हुआ. भोले बाबा के सत्संग के बाद हुई भगदड़ में 116 लोगों की मौत हो गई. हादसा हाथरस जिले से 47 किमी दूर फुलरई गांव में दोपहर करीब 1 बजे हुआ. सत्संग कराने वाला बाबा जो खुद को नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा कहता है, घटना के बाद वह गायब है. हासदे के बाद अस्पताल में लाशों की ढेर लग गई.
लाशों और घायलों को बस और टैंपो में भरकर सिकंदराराऊ CHC और एटा जिला अस्पताल, अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजा गया. CHC के बाहर शव जमीन पर इधर-उधर बिखरे पड़े थे. महिला और बच्चों को एटा मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया है. चश्मदीदों का कहना है कि सत्संग में भीड़ काफी थी, जितने लोग आए थे उनके लिए प्रयाप्त सुरक्षा के इंतेजाम नहीं किए थे. सत्संग खत्म होने के बाद बाबा को देखने के लिए लोग अचानक बाहर की ओर निकले, लेकिन एग्जिट गेट बेहद संकरा था और रास्ते में नाला था. लोगों नाले गिर गए और काफी देर तक दबे रहे.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि जब सत्संग के स्थल पर भगदड़ मचा को उसे हैंडल करने लिए पुलिस के जवान नहीं थे. जो सुरक्षाकर्मी थे भी वो वहां से भाग गए. लोग मरते दबकर मरते रहे. सत्संग का समापन होने के बाद गुरुजी की कार निकली. उनके चरण छूने के लिए लोग दौड़ पड़े और भगदड़ मच गई. कई लोग एक के ऊपर एक गिरते गए.
हादसे में हाथरस में भारी चूक हुई है. प्रशासन पर कई सवाल उठ रहे हैं. इतने लोग एक साथ पहुंचे, वहां पर कोई भी बड़ा अफसर मौजूद नहीं था. सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे. कुछ पुलिसवाले थे, वह भी इधर-उधर टहल रहे थे. घटना होने के बाद मौके पर पुलिस के बड़े अधिकारी पहुंचे हैं. तीन मंत्री- संदीप सिंह, असीम अरुण और चौधरी लक्ष्मी नारायण भी कैंप कर रहे हैं.
भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है. वह एटा के रहने वाले हैं. वह उत्तर प्रदेश पुलिस में नौकरी किया करते थे. लेकिन 18 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया. करीब 25 साल से वह सत्संग कर रहे हैं. पश्चिमी UP के अलावा राजस्थान, हरियाणा में भी इनके अनुयायी हैं. स्वयंभू संत भोले बाबा ने बताया कि उनका कोई गुरु नहीं है. नौकरी से रिटायरमेंट लेने के बाद उन्हें भोले बाबा ने साक्षात दर्शन दिए थे. भगवान से मिलने के बाद उन्होंने खुद को दुनिया की मोह से दूर कर लिया और अध्यात्म को समर्पित कर दिया.