Haryana News: अपने 20 वर्षीय बेटे आर्यन मिश्रा के लिए न्याय की मांग करते हुए सिया नंद मिश्रा ने बुधवार को कहा कि अगर सरकार दो महीने के भीतर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है तो वे और उनकी पत्नी अपनी जान दे देंगे. आर्यन मिश्रा को 24 अगस्त को एक गौरक्षक समूह ने पीछा करके गोली मार दी थी. आरोपियों को आर्यन मिश्रा पर गौ तस्कर होने का शक था.
एनआईटी-5 के रहने वाले आर्यन के पिता सिया मिश्रा ने पूछा कि गौरक्षकों को 'गौ रक्षा' के नाम पर किसी को भी मारने का अधिकार कौन देता है? उन्होंने ये भी पूछा कि पुलिस उन्हें (गौरक्षक समूहों) कानून अपने हाथ में लेने से रोकने के लिए क्या कर रही है? आर्यन के बड़े भाई 25 साल के अजय मिश्रा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उनका छोटा भाई आर्यन पूरी शिद्दत से हिंदू धर्म को मानता था और इसी साल कांवड़ यात्रा पर गया था.
आर्यन के बड़े भाई अजय मिश्रा ने बताया कि हमारे घर के बाहर जो भगवा झंडा आप देख रहे हैं, वो आर्यन ने लगाया था. वो पिछले महीने ही कांवड़ यात्रा से लौटा था और उसके पैरों में छाले पड़ गए थे. एक पंडित ने उसे नियमित रूप से गायों को चारा खिलाने के लिए कहा था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आर्यन ने घर चलाने में मदद करने के लिए 11वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्कूल छोड़ दिया था. उसने ओपन स्कूल के माध्यम से 12वीं की पढ़ाई की और गाजियाबाद में एक मोबाइल की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया. अजय ने कहा कि आर्यन डिजिटल मार्केटिंग में भी अपना करियर बनाने की कोशिश कर रहा था और उसने सोशल मीडिया वीडियो के साथ एक दोस्त की मदद करना शुरू कर दिया था.
अयोध्या के रहने वाले सिया नंद के लिए आर्यन की मौत एक बहुत बड़ा झटका है. कथित तौर पर आर्यन को गोली मारने वाले गौरक्षकों की गिरफ़्तारी के बाद, सिया नंद का मुख्य आरोपी अनिल कौशिक से आमना-सामना हुआ. सिया नंद मिश्रा ने बताया कि अनिल मेरे सामने हाथ जोड़कर खड़ा था. उसने कहा कि आप ब्राह्मण हैं और मैं भी ब्राह्मण हूं. उसने कहा कि बहुत बड़ी गलती हो गई है. सिया नंद ने कहा कि अनिल कौशिक ने कहा कि उसने आर्यन की कार का पीछा किया, ये सोचकर कि वह गौ तस्कर है.
19 साल के आर्यन ने केंद्र के ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (RSETi) से एक कार्यक्रम पूरा करने के बाद टी-शर्ट खरीदी थी. उस टीशर्ट को पहने हुए सिया नंद मिश्रा ने पूछा कि कार पर गोली के निशान क्यों नहीं थे? उन्होंने पूछा कि पुलिस किस लिए है? अगर गौरक्षकों को तस्करी के बारे में पता चलता है, तो उन्हें पुलिस को बताना चाहिए. वे किसी को नहीं मार सकते. इन गौरक्षकों ने निजी समूह बना रखे हैं. कल, अगर उनकी किसी से दुश्मनी है, तो क्या इसका मतलब यह है कि वे 'गौ रक्षा' के नाम पर किसी को भी गोली मार सकते हैं और दावा कर सकते हैं कि वह व्यक्ति गाय ले जा रहा था?