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हरियाणा में कुछ भी हो खिलेगा कमल ही! आखिर इतनी टेंशन फ्री क्यों हो गई है बीजेपी?

Haryana Politics: हरियाणा में कांग्रेस पार्टी ने अचानक राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग शुरू कर दी है. इसकी वजह बने हैं तीन निर्दलीय विधायक जिन्होंने बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है.

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Edited By: India Daily Live
Haryana Politics
Courtesy: Social Media

हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस ने 3 निर्दलीय विधायकों के दम पर बड़ा दावा किया है. कांग्रेस का दावा है कि इन तीन विधायकों के समर्थन वापस ले लेने से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मौजूदा सरकार खतरे में आ गई है. हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान ने तो राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग भी कर डाली है. अभी दो महीने पहले ही बीजेपी ने हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया था. उस वक्त जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने भी उसका साथ छोड़ दिया था. निर्दलीयों के भरोसे सरकार चला रही बीजेपी अभी भी फुल कॉन्फिडेंस में है और उसका कहना है कि सरकार बनी रहेगी.

तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के सवाल पर पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा, 'वो निर्दलीय हैं तो निर्दलीय हैं, हम उनका क्या कर सकते हैं. ये लोग अपनों को संभालकर रखें क्योंकि जिस दिन खुल गया हिसाब-किताब तब इनको समझ में आएगा कि हमारे संपर्क में कितने हैं. हम चाहते हैं कि अब चुनाव तक ज्यादा कुछ न हो क्योंकि जिसको जहां से चुनाव लड़ना है, उसको लड़ना ही है. 30 मेंबर से वो क्या करना चाहते हैं? जो करना है कर लें. उनको पता नहीं है कि उनके ही साथ के कितने लोग हमारे साथ खड़े होंगे. अविश्वास प्रस्ताव भी लाकर भी कुछ नहीं होने वाला है.'

क्यों कॉन्फिडेंस में है बीजेपी?

दरअसल हरियाणा में विधायकों की कुल संख्या 90 होती है. मनोहर लाल खट्टर और रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद दो सीटें खाली हैं. 88 में से बहुमत के लिए 45 विधायक चाहिए. अब बीजेपी के पास अपने 39 विधायक हैं. अभी भी 5 निर्दलीय उसके साथ हैं. यह आंकड़ा 44 तक जाता है. यहां बात आती है जेजेपी के उन विधायकों की जो गठबंधन टूटने के बावजूद सरकार के साथ दिखे थे. अगर वे सरकार का साथ देते हैं तो नायब सिंह सैनी की सरकार पर कोई खतरा नहीं होगा. दूसरी ओर, कांग्रेस के सिर्फ 33 विधायक हैं और उसके लिए 15 विधायक जुटाना टेढ़ी खीर साबित होगा.

दुष्यंत चौटाला ने याद दिलाई नैतिकता

इस मामले में जेजेपी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा, 'चलो कम से कम आज वह ये तो मान गए कि वह कमजोर हो चुके हैं. ये कमजोरी मानने वाला मुख्यमंत्री मुझे लगता है कि नैतिक आधार पर प्रदेश का नेतृत्व करने लायक नहीं है.' बता दें कि मनोहर लाल खट्टर जेजेपी के 10 विधायकों और निर्दलीयों के समर्थन से सरकार चला रहे थे लेकिन जेजेपी के अलग होने के बाद हरियाणा में सीएम भी बदल गया और सरकार भी निर्दलीयों के भरोसो हो गई. हालांकि, जेजेपी में भी टूट देखने को मिली थी और उसके कुछ विधायक सरकार के पक्ष में चले गए थे.