हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है. कांग्रेस ने दावा किया है कि 3 निर्दलीय विधायकों ने हरियाणा की मौजूदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. कुछ महीने पहले ही बीजेपी ने हरियाणा में सीएम बदला था. मनोहर लाल खट्टर की जगह पर नायब सिंह सैनी ने 12 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उसी वक्त जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) भी सरकार से बाहर हो गई थी. हालांकि, जेजेपी के कुछ विधायक सरकार के समर्थन में हैं.
हरियाणा में कांग्रेस के मुखिया उदय भान ने दावा किा है कि नायब सिंह सैनी की मौजूदा सरकार को समर्थन दे रहे तीन विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, पुंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान और नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंदर ने समर्थन वापस लिया है. इसके बाद हरियाणा कांग्रेस के चीफ उदय भान ने हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मांग की है.
VIDEO | Three Independent MLAs - Sombir Sangwan, Randhir Gollen and Dharampal Gonder - hold a press conference after withdrawing their support to the BJP government in Haryana and extending their support to the Congress.
— Press Trust of India (@PTI_News) May 7, 2024
"We were elected as Independent as we honestly extended… pic.twitter.com/ixMLfoATRo
क्या है सीटों का गणित?
2019 के चुनाव नतीजों को देखें तो किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में 41 सीटों पर बीजेपी, 30 पर कांग्रेस, 10 पर जेजेपी और 9 पर अन्य को जीत मिली थी. जेजेपी के साथ गठबंधन टूटने के बावजूद बीजेपी की सरकार बची रही थी क्योंकि उसके अपने 41 विधायकों के अलावा सात निर्दलीय और हरियाणा लोकहित पार्टी के एक विधायक का समर्थन था. वहीं, जेजेपी के भी कुछ विधायक सरकार के समर्थन में ही थी, जिसके चलते जेजेपी में टूट हो गई थी.
अब अगर मौजूदा स्थिति देखी जाए तो मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद एक सीट खाली है, ऐसे में बहुमत के लिए कुल 45 विधायकों की जरूरत होगी. 40 विधायक बीजेपी के पास हैं. सात निर्दलीय और एक HLP में से 3 निर्दलीयों को हटा दें तब भी बीजेपी के पास 45 विधायकों का समर्थन बचता है. अगर जेजेपी के एक या दो विधायक भी मौजूदा सरकार का समर्थन करते हैं तो सरकार को कोई खतरा नहीं होगा.