हरियाणा की राजनीति से लेकर खेल के मैदान तक, अगर किसी एक नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है, तो वह है विनेश फोगाट की. दुनिया में बड़े-बड़े पहलवानों को ओलंपिक के पिच पर चित करना हो या देश में सनसनी बनना हो, विनेश फोगाट का कोई तोड़ नहीं है. उनके साथ लोगों की संवेदनाएं और सद्भावनाएं दोनों हैं. उन्हें मजबूत साथ मिला है ओलंपियन मेडलिस्ट बजरंग पूनिया का. दोनों पहलवान एक हुए हैं और दोनों ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है.
राहुल गांधी, कश्मीर दौरे पर रवाना होने से ठीक पहले दोनों पहलवानों से बुधवार को मुलाकात की है. दोनों की यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है. विनेश फोगाट ने कुश्ती से संन्यास लिया है, ऐसे में वे दूसरी पारी राजनीति से शुरू कर सकती हैं. वे खाप पंचायतों के नेताओं से मिलती हैं, हरियाणा के दिग्गज नेताओं से वे मुलाकात करती हैं और किसानों के साथ धरना प्रदर्शनों में शामिल होते हैं.
कांग्रेस के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि कांग्रेस इन दोनों पहलवानों को सियासी मैदान में उतारने वाली है. वजह ये है कि सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल भी इन पहलवानों से मिले हैं. विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को कुछ सीटों से लड़ने का विकल्प भी दे दिया गया है. यह स्थिति आज साफ हो सकती है. बस अब तय विनेश फोगाट को करना है कि उन्हें चुनाव लड़ना है या नहीं. बजरंग पूनिया तो चुनवा लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि विनेश फोगाट को ऑफर मिला है कि वे चरखी, दादरी और बढाड़ा विधानसभा से चुनाव लड़ सकती हैं. अगर दादरी से वे उतरती हैं तो उनके खिलाफ उनकी बहन बबीता फोगाट भी चुनावी मैदान में उतर सकती है. बबीता 2019 में यहां से चुनाव हार भी चुकी हैं. वे जींद से भी लड़ सकती हैं.
बजरंग पूनिया को दो सीटों पर ऑफर मिला है. बजरंग पूनिया सोनीपत से चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस सुरेंद्र पंवार को उतारेगी. वे ईडी की कस्टडी में है तो यहां उनके घरवालों को टिकट मिल सकता है. बजरंग को झज्जर की बादली सीट से भी उतारा जा सकता है.
कांग्रेस नेता भूपेद्र हुड्डा चाहते हैं दोनों पहलवान, सियासी मैदान में उतरें. उन्होंने ही कांग्रेस को इन दोनों को टिकट देने की पैरवी की है. कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति भी तैयार है. विनेश फोगाट, पेरिस ओलंपिक 2024 में अजेय रहीं. उन्हें 100 ग्राम ज्यादा वेट होने की वजह से डिसक्वालिफाई कर दिया गया. उन्हें पदक नहीं मिला लेकिन पूरा देश उनके साथ खड़ा हो गया. वे जब 17 अगस्त को देश लौटीं तो लोग उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़े. कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा, एयरपोर्ट पर ही उनके स्वागत के लिए आ गए. गुरुग्राम तक उनका ऐसा स्वागत हुआ, जितना किसी भी खिलाड़ी का नहीं हुआ.
विनेश फोगाट के समर्थन में खाप पंचायतें उतर आई हैं. वे किसान आंदोलन के 100 दिन पूरा होने के बाद उनसे मिलने शंभू बॉर्डर पर पहुंच गई थीं. सरकार की नीतियों पर, बृजभूषण सिंह पर सरकार के रुख और फसलों के सही दाम न मिलने को लेकर पहले ही किसान नाराज हैं. विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया दोनों, बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठक चुके हैं. दोनों का कहना है कि भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण गिरफ्तार हों. बृजभूषण गिरफ्त से कोसों दूर हैं. उनके बेटे प्रतीक भूषण को बीजेपी ने टिकट दिया था, जो सासंद चुने जा चुके हैं.
किन मुद्दों पर बीजेपी है बैकफुट पर?
पहलवानों ने यौन शोषण के आरोप बृजभूषण पर लगाए हैं. सरकार का रवैया बृजभूषण को बचाने वाला रहा है, ऐसा आरोप पहलवान लगाते रहे हैं. बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है. बेरोजगारी, किसान आंदोलन को लेकर भी बीजेपी सरकार घिरी है. ऐसे में इन मुद्दों के बल पर पहलवानों की नैया पार भी हो सकती है.
हरियाणा में किसान, पहलवान और जाट फैक्टर हमेशा हावी रहता है. विनेश फोगाट, इन तीनों शर्तों को पूरा करती हैं. बजरंग पूनिया के साथ भी यही स्थिति है. कांग्रेस, के लिए सुनहरा मौका है इन दोनों को टिकट देना. ऐसी अटकलें लग रही हैं कि दोनों को उतारा जा सकता है. अगर इन्हें मौका मिला तो अपने जनसमर्थन के भरोसे ये हरियाणा के सियासी अखाड़े में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ उतर सकते हैं. बीजेपी और दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जन नायक जनता पार्टी के लिए फिर ये सियासी जंग आसान नहीं रह जाएगी.