Haryana Elections 2024: हरियाणा से दूरी, महाराष्ट्र-झारखंड पर निगाहें, क्या BJP के आगे झुक रही है RLD?
Haryana Polls 2024: राष्ट्रीय लोक दल हरियाणा विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारना चाहती थी. पारंपरिक रूप स ये पार्टी जाटों और किसानों की रही है. हरियाणा में यह पार्टी, अपने इसी वोट बैंक को आधार बनाकर चुनाव लड़ना चाहती थी. भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय लोकदल को एक समझौते के लिए तैयार लिया है. समझिए कैसे बनी है बात.
Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय लोक दल (RLD) की भूमिका सीमित होग. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दबाव के आगे जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली पार्टी, झुकने के लिए तैयार हो गई है. राष्ट्रीय लोक दल पार्टी, अब हरियाणा विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी. यह सिर्फ इशारा है, बीजेपी की सहयोगी पार्टियों की भूमिका, आने वाले विधानसभा चुनावों में भी सीमित हो सकती है. सहयोगी दलों पर बीजेपी भारी पड़ती आ रही है. बीजेपी के फैसलों से यह स्पष्ट है कि पार्टी दबाव में नहीं है, दबाव बना रही है.
राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं का कहना है कि पार्टी, हरियाणा में कम से कम 2 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती थी लेकिन बीजेपी ने इस मांग को खारिज कर दिया. राष्ट्रीय लोक दल की पूरी राजनीति जाट और किसानों के आसपास ही घूमती है. हरियाणा में पार्टी का जनाधार बन सकता है लेकिन बीजेपी की जिद के आगे, राष्ट्रीय लोकदल को झुकपना पड़ा है. हरियाणा में किसान और जाट, दोनों समुदाय प्रभावी हैं. 5 अक्टूबर को होने वाले इस चुनाव में अब राष्ट्रीय लोकदल हिस्सा नहीं लेगा.
यूपी में RLD ने खींचे कदम
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि राष्ट्रीय लोक दल, सिर्फ हरियाणा में ही नहीं, बल्कि यूपी में भी समझौता करने के लिए तैयार है. मीरापुर विधानसभा सीट से रालोद चुनाव नहीं लड़ेगी. यहां के विधायक रहे चंदन चौहान, लोकसभा में चुने गए तो विधानसभा सीट खाली हो गई. साल 2019 में बीजेपी ने हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 40 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी का वोट प्रतिशत 36.49 प्रतिशत रहा.
क्या सहयोगियों पर भारी पड़ रही है बीजेपी?
जानकारों का कहना है कि बीजेपी प्रमुख सहयोगियों पर हावी होती नजर आ रही है. वजह ये है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है. ऐसे में विपक्ष को यह संदेश न जाने पाए कि बीजेपी हतोत्साहित है, सहयोगी दलों को समझौता करना होगा. अब बीजेपी छोटे सहयोगियों पर ऐसे ही दबाव बनाएगी. जहां बीजेपी हावी है, वहां समझौते के लिए तैयार नहीं होगी.
हरियाणा में भी जयंत ने पीछे खींचे कदम
राष्ट्रीय लोक दल, पहलवानों के मुद्दे पर बीजेपी के खिलाफ थे. पहलवानों के आंदोलन के दौरान वे सपा गठबंधन का हिस्सा भी थे. जयंत चाहते थे कि तत्कालीन भारतीय कुश्ती संघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को सजा मिले और वे जेल जाएं. उन पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप हैं. वे हरियाणा के पहलवानों के संपर्क में थे. अगर वे हरियाणा में जाते तो हो सकता था कि उन्हें समर्थन मिलता.
रालोद का जम्मू-कश्मीर चुनाव पर फोकस
राष्ट्रीय लोक दल, जम्मू-कश्मीर की 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. यूपी, हरियाणा में गठबंधन कायम रहेगा लेकिन दूसरे राज्यों में आरएलडी स्वतंत्र राह अपना सकती है. राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी का कहना है कि बीजेपी के साथ उनका गठबंधन मुख्य रूप से यूपी तक ही सीमित है. झारखंड में भी राष्ट्रीय लोक दल के नेता दौरा करने वाले हैं. रालोद, कश्मीर में पंचायत चुनाव भी लड़ चुकी है. देखने वाली बात ये होगी कि वहां भी बीजेपी दबाव बना पाती है या नहीं.
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