Haryana Elections Survey: हरियाणा का विधानसभा चुनाव हर दिन रोचक होता जा रहा है. 10 साल से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) तीसरी बार सरकार बनाने का दावा ठोंक रही है. वहीं, लोकसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस के हौसले भी बुलंद हैं. इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने दलित वोटरों को ध्यान में रखते हुए बहुजन समाज पार्टी (BSP) से गठबंधन किया है तो कुछ महीनों पहले तक डिप्टी सीएम रहे दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) से गठबंधन किया है. इस बीच एक और सर्वे सामने आया है जिसने बीजेपी की चिंताएं बढ़ा दी हैं. इस सर्वे ने दुष्यंत चौटाला को भी झटका दिया है जो एक बार फिर से किंगमेकर बनने का मंसूबा पाले बैठे हैं.
दो नए गठबंधनों के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि चुनाव त्रिकोणीय या फिर चतुष्कोणीय भी हो सकता है. हालांकि, लोक पोल के सर्वे ने इन सभी उम्मीदों को धता बता दिया है. इस सर्वे के मुताबिक, बीजेपी की विदाई हो सकती है और कांग्रेस इस बार वापसी कर सकती है. वहीं, इस बार अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को पहले ही तुलना में बेहद कम सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है. यानी इस सर्वे के मुताबिक, लड़ाई सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी के ही बीच में है.
इस सर्वे में 67,500 लोगों से राय ली गई है. इस सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस को इस बार के विधानसभा चुनाव में 46 से 48 पर्सेंट वोट मिल सकते हैं. वहीं, दो बार से विधानसभा चुनाव जीत रही बीजेपी को 35 से 37 पर्सेंट वोट से ही संतोष करना पड़ सकता. इसी सर्वे के मुताबिक, दो गठबंधनों और आम आदमी पार्टी समेत अन्य सभी निर्दलीय उम्मीदवार कुल मिलाकर 7 से 8 पर्सेंट में ही समाहित हो सकते हैं.
सीटों की संख्या के लिहाज से देखें तो कांग्रेस इस बार सबसे बड़ी पार्टी और विजेता बनकर उभर सकती है. 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत है. लोक पोल के इस सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस को 58 से 65 सीटें मिल सकती हैं. वहीं, बीजेपी को 20 से 29 सीटें ही मिलती दिख रही हैं. अन्य को इस बार 3 से 5 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है.
2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 40 सीटें मिली थीं और वह अकेले सरकार नहीं बना पाई थी. वहीं, दूसरे नंबर पर कांग्रेस थी जिसे 31 सीटें मिली थीं. वहीं, 10 सीटें लाने वाली जेजेपी किंगमेकर बनकर उभरी थी और दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बन गए थे. उस चुनाव में सात निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते थे.