menu-icon
India Daily

कट्टरपंथी गिलानी की पोती ने अखबार में निकाला इश्तहार, खुद को बताया भारत का वफादार

Hardliner Geelani Granddaughter Pledge: सैयद अली शाह गिलानी की पोती रुवा शाह ने खुद को भारत का वफादार बताया है. रुवा शाह ने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि मैं डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी से जुड़ी नहीं हूं और न ही इसके प्रति मेरा कोई झुकाव है. 

auth-image
Edited By: India Daily Live
Syed Ali Shah Geelani

Hardliner Geelani Granddaughter Pledge: दिवंगत कट्टरपंथी हुर्रियत संरक्षक सैयद अली शाह गिलानी की पोती और जेल में बंद डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के संस्थापक शब्बीर शाह की बड़ी बेटी ने खुद को भारत का वफादार बताया है. सैयद अली शाह गिलानी की पोती रुवा शाह और डीएफपी संस्थापक की बेटी समा शब्बीर ने स्थानीय दैनिक अखबार में नोटिस जारी कर 'भारत संघ' के प्रति अपनी निष्ठा की घोषणा की है.

दैनिक अखबार में सामा ने कहा है कि मैं, समा शब्बीर शाह, शब्बीर अहमद शाह की बेटी, अफंदी बाग, सनत नगर, श्रीनगर की निवासी, यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि मैं डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी से जुड़ी नहीं हूं और न ही इसके प्रति मेरा कोई झुकाव है. समा शब्बीर शाह के हवाले से आगे कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि मैं भारत का एक वफादार नागरिक हूं और मैं किसी भी व्यक्ति या किसी संगठन से संबद्ध नहीं हूं जो भारत संघ की संप्रभुता के खिलाफ है.

2021 में हुआ था गिलानी का निधन

बता दें, साल 2021 में 1 सितंबर को लंबी बीमारी के बाद हुर्रियत कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी का निधन हो गया. उनके निधन को अनुच्छेद 370 के तहत पूर्ववर्ती राज्य के लिए संवैधानिक विशेषाधिकारों को निरस्त करने के बाद कश्मीर में अलगाववादी अभियान के लिए दूसरे बड़े झटके के रूप में देखा गया था. वह जमात-ए-इस्लामी और मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट से तत्कालीन राज्य विधान सभा के सदस्य भी थे लेकिन 1989 में घाटी में भारत विरोधी विद्रोह के बढ़ने के साथ, गिलानी ने राजनीति छोड़कर राज्य में अलगाववादी अभियान का नेतृत्व करने लगे थे.

13 साल तक नजरबंद रहे थे गिलानी

साल 2021 में मौत के पहले गिलानी 13 साल तक नजरबंद रहे थे. साल 2010 में उन्हें हिरासत में लिया गया था क्योंकि उन्होंने एक कथित मुठभेड़ में हुए चार कश्मीरियों की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था. हालांकि, साल 2015 में गिलानी को कुछ हफ्तों के लिए घर छोड़ने की अनुमति दी गई थी. इसके बाद एक सार्वजनिक बैठक में भारत विरोधी नारे लगाने के चलते उन्हें हिरासत में लेकर फिर से नजरबंद कर दिया गया था.