दिल्ली विश्वविद्यालय के साहित्य महोत्सव में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक दिलचस्प तुलना के माध्यम से विदेश नीति और कूटनीति के बारे में अपनी समझ साझा की. उन्होंने भगवान हनुमान के पात्र का उदाहरण दिया, जिससे उन्होंने कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को समझाया.
विदेश नीति में दिया हनुमानजी का उदाहरण
#WATCH | At Delhi University Literature Festival, EAM S Jaishankar says, "Hanumanji, just look at it, he is being sent by Prabhu Shri Ram to a hostile territory. Say, go there, kind of figure out the lay of the land... The most difficult part of it is actually going and meeting… pic.twitter.com/v5LsqR375F
— ANI (@ANI) February 22, 2025
विदेश नीति और कूटनीति: एक सामान्य समझ
जयशंकर ने आगे कहा, "जब आप विदेश नीति की बात करते हैं, तो यह एक सामान्य समझ का विषय है. यह इस बारे में है कि आप अपने दोस्तों की संख्या कैसे बढ़ाते हैं, और जब आपके पास एक बड़ा समूह होता है तो आप उन्हें एकजुट कैसे करते हैं, ताकि एक संयुक्त उद्देश्य की ओर काम किया जा सके."
भारत का कूटनीतिक दृष्टिकोण
जयशंकर ने यह भी बताया कि आज भारत का उद्देश्य अपने मित्र देशों की संख्या बढ़ाना है. "हम विभिन्न देशों को एक साथ लाने का प्रयास कर रहे हैं, भले ही वे सभी एक ही पृष्ठ पर न हों. हम उन्हें एकजुट करने और एक साझा लक्ष्य की ओर काम करने की कोशिश कर रहे हैं." यह कूटनीतिक दृष्टिकोण बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विश्व राजनीति में भारत की भूमिका को सशक्त बना सकता है.